बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, महंगाई, कमोडिटी की कीमतों के साथ-साथ चीन में बिजली संकट से दुनिया भर में हड़कंप मच गया है. भारतीय इक्विटी मार्केट (Stock market) अलग नहीं हैं. मौजूदा मार्केट वोलैटिलिटी और आने वाले FY22 की दूसरी तिमाही के नतीजों को देखते हुए मनी9 ने जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर से बात की ताकि ग्लोबल न्यूज की वजह से फाइनेंशियल मार्केट पर पड़ने वाले असर और आने वाले अर्निंग सेशन से क्या उम्मीद की जाए ये समझा जा सके. पेश हैं बातचीत के संपादित अंश:
नियर टर्म बेसिस पर, डिप पर खरीदारी सबसे अच्छी रणनीति होगी. हालांकि, मीडियम टर्म बेसिस पर, ग्लोबल वोलैटिलिटी के कारण समान अपट्रेंड को बनाए रखना एक चुनौती होगी, इसलिए रैली पर बेचने का सुझाव है. ऐसा करते समय, अपने रिस्क प्रोफाइल के आधार पर इक्विटी, डेट और गोल्ड के साथ एक मिक्स पोर्टफोलियो बनाएं.
भारत ऐसी गुड्स और कमोडिटीज का बड़ा निर्यातक नहीं है. इसका भारतीय बाजार पर मिलाजुला असर होगा जिसमें इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरर को ऊंची कीमतों से फायदा होगा, जबकि ऊंची लागत से मुनाफे में गिरावट के कारण ब्रॉड मार्केट प्रभावित होगा.
चीन में क्या हो रहा है और कमोडिटी और इलेक्ट्रिसिटी की कमी के कारणों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. यह एवरग्रांडे, रियलिटी पर पब्लिक द्वारा की गई शिकायतें, अन्य देशों द्वारा लगाए गए कोविड से संबंधित आरोपों के कारण चीन द्वारा घोषित आयात प्रतिबंध और आर्थिक विकास को ठीक करने के लिए रियल्टी और इंफ्रा खर्च पर सरकार के जोर का एक कॉम्बिनेशन इफेक्ट हो सकता है. भारत में इसी तरह के प्रभाव की संभावना कम है, हालांकि सप्लाई चेन इश्यू और अचानक इलेक्ट्रिसिटी की डिमांड बढ़ने का शॉर्ट टर्म में असर पड़ेगा.
कमोडिटी और पावर की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ रही है. लेकिन कुछ सेंट्रल बैंकर्स की राय है कि सप्लाई में कमी और डिमांड में अचानक उछाल की वजह से बढ़ती कीमतें टेम्पररी (अस्थायी) हैं. आपका क्या कहना है?
मैं केंद्रीय बैंकों की इस राय से सहमत हूं कि महंगाई में मौजूदा बढ़ोतरी सप्लाई चेन में रुकावट के कारण है और ग्लोबल इकोनॉमी फिर से धीरे-धीरे खुलने के साथ ही स्थिति उलट हो जाएगी. हालांकि, इस बात का रिस्क बढ़ रहा है कि यह शॉर्ट टर्म इन्फ्लेशन मीडियम टर्म तक फैल सकता है क्योंकि पूरी ग्लोबल इकोनॉमी डिमांड और सप्लाई के इस मिसमैच का भार उठाने वाली है. यह केंद्रीय बैंकों को ईजी मॉनेटरी पॉलिसी को फिर से कंसीडर करने के लिए प्रेरित करेगा.
इंटरनेशनल एनर्जी की कीमतों में वृद्धि, PSUB के लिए प्रॉम्प्ट करेक्शन एक्शन फ्रेमवर्क से फायदा और डाइवेस्टमेंट एंड मोनेटाइजेशन जैसे रिफॉर्म ने PSE के आउटलुक को अपग्रेड किया है, जो लॉन्ग टर्म में मदद करेगा.
रियल एस्टेट की कीमतों में मार्जिनल करेक्शन और कम ब्याज दरों के कारण रियलिटी की मांग में सुधार हो रहा है. हाउसिंग के लिए पब्लिक की कभी न खत्म होने वाली डिमांड के कारण महीने दर महीने रजिस्ट्रेशन में सुधार हो रहा है. इकोनॉमी को अनलॉक करने से फ्यूचर में कमर्शियल डिमांड को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. हालांकि, वैल्यूएशन अपर बैंड पर है, जो शॉर्ट से मीडियम टर्म में परफॉर्मेंस को प्रभावित करेगा.
दुनिया भर में अनाउंस फिस्कल स्पेंडिंग और इकोनॉमी के फिर से खुलने की वजह से मेटल सेक्टर का लॉन्ग टर्म आउटलुक पॉजिटिव है. जबकि, नियर टर्म बेसिस पर सप्लाई चेन इश्यू, कमोडिटी की कीमतों और डेल्टा वेरिएंट से सेक्टर के प्रभावित होने की संभावना है.
रिफॉर्म, इकोनॉमी को खोलने, हाई क्वालिटी वाले IPO के आने के कारण ब्रॉड मार्केट पर हमारा नजरिया पॉजिटिव है. मिड और स्मॉल कैप में गिरावट एक अवसर है क्योंकि अर्निंग में तेजी के कारण वैल्यूएशन में अच्छा करेक्शन हुआ है. हालांकि, हमें इस बारे में स्पेसिफिक होना होगा कि ग्लोबल मार्केट में कंसोलिडेशन और पीक वैल्यूएशन की वजह से हम किस सेक्टर में इन्वेस्ट करते हैं. हमें फार्मा, केमिकल, ऑटो, हॉस्पिटैलिटी, मीडिया, ITES, इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग और पावर पसंद है.
ग्लोबल और डोमेस्टिक मार्केट में लॉकडाउन न होने और मांग में तेजी के कारण Q2 का प्रिव्यू Q1 से बेहतर है. इकोनॉमी को फिर से खोलना और आने वाला फेस्टिव सीजन कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, बैंकिंग, होस्पिटेलिटी और एंटरटेनमेंट का फ्यूचर आउटलुक अपग्रेड करेगा. दूसरे सेक्टर जिन पर रिफॉर्म लागू किए गए हैं जैसे PLI (परफॉर्मेंस-लिंक्ड इंसेंटिव), क्लीन एनर्जी पर फोकस और न्यू जनरेशन कंपनियां भी फ्युचर के लिए बेहतर मैनेजमेंट प्रोवाइड करेगी. पीक वैल्यूएशन के चलते नतीजे आने से पहले IT सेक्टर में करेक्शन हो रहा है. हालांकि, रिजल्ट अनाउंस होने के बाद ये रिवर्ट हो सकता है. रॉ मटेरियल की हाई कॉस्ट, मौजूदा समय में डिमांड और सप्लाई में बड़े अंतर के कारण सीमेंट, ऑटो, मेटल्स एंड माइनिंग और लॉजिस्टिक जैसे सेक्टर पर मिला जुला असर पड़ेगा.