P2P: कोरोना ने हमारे समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है. एक वो जो अपनी नौकरियां खो चुके हैं और संघर्ष कर रहे हैं. दूसरे वो जो जिनके पास महामारी के बावजूद काफी पैसा है.
कुछ लोग अपने जीवन को चलाने के लिए दूसरों पर निर्भर हैं जबकि कुछ लोग इस दौर में आकर्षक निवेश के नए विकल्प तलाश रहे हैं.
मजेदार बात है कि, यहां कई ऐसे पीयर टू पीयर P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जो दोनों वर्गों को जोड़ते हैं. एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है लेंडेनक्लब (Lendenclub).
इसका ताजा अध्ययन बताता है कि पी2पी लोन देने वाले प्लेटफॉर्म पर लोन लेने वाले और देने वाले दोनों के रूप में मिलेनियल्स (युवा) सबसे प्रभावशाली समूह हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक “P2P लेंडिंग इंडस्ट्री में लोन देने वाले (54%) और लेने वाले (56%) दोनों समूहों 21 से 30 साल की उम्र वाले मिलेनियल्स समूह की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है.
इसके बाद 31 से 40 साल की आयु वर्ग वालों की संख्या लोन देने (33%) और लेने वालों (37%) में सबसे ज्यादा है.”
क्रेडिट डिमांड पर आधारित प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाला शहर बेंगलुरु है. और सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले भी इसी टेक सिटी से ताल्लुक रखते हैं.
जबकि कर्ज देने वाले बाकी लोग मुंबई, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों से हैं. इस इंडस्ट्री में साफ तौर पर वेस्ट और साउथ का प्रतिनिधित्व ज्यादा है.
लेंडेंन क्लब के को-फाउंडर और सीईओ भविन पटेल के मुताबिक “कोरोना ने हर इंडस्ट्री में डिजिटल घुसपैठ को जबरदस्त बढ़ावा दिया है और लेंडिंग इंडस्ट्री में इसका जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला है.
रोचक बात है मिलेनियल्स भी बेहतर रिटर्न की चाहत में P2P लेंडिंग इंडस्ट्री में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं. हम ई-कॉमर्स और नए जमाने की तकनीक के प्रवेश के लिए धन्यवाद देते हैं, जिसने टियर- II और टियर- III जैसे शहरों में भारतीयों के एक बिल्कुल नई तकनीकी डिमांड पैदा की है.”
हैरानी की बात नहीं है लेकिन इस साल डिजिटल लोन लेने का ज्यादातर कारण मेडिकल इमरजेंसी है. कुल लोन लेने वालों में ऐसी इमरजेंसी की हिस्सेदारी 35% है.
रिपोर्ट के मुताबिक “लगातार दो कोरोना की लहर ने भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम पर जबरदस्त प्रभाव डाला है. साल की रिपोर्ट के मुताबिक मेडिकल इमरजेंसी में भारी उछाल दर्ज किया गया है. यही लोन लेने का सबसे बड़ा कारण है.
कर्ज लेने का दूसरा बड़ा कारण एडवांस सैलरी है, जिसकी हिस्सेदारी 33% है. जबकि फैमिली फंक्शन कर्ज लेने का तीसरा बड़ा कारण है, इसकी हिस्सेदारी 10% है.”
CXO से लेकर मिड-मैनेजेरियल स्तर तक के पेशेवर वेतनभोगी, निवेश करने वाले लोगों में सबसे ज्यादा हैं. उनका इस प्लेटफॉर्म में औसत निवेश 1.81 लाख रुपए है.
रिपोर्ट के मुताबिक “त्योहारों के मौसम के कारण, नवंबर (2020) और दिसंबर (2020) और फरवरी (2021) शीर्ष तीन महीने साबित हुए, जब कर्ज की मांग सबसे ज्यादा रही. जबकि, अप्रैल-जून 2020 के दौरान, क्रेडिट की मांग सबसे कम थी.”
डेटा में और तथ्य सामने आया कि इन प्लेटफॉर्म पर पुरुषों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 80% है. P2P इंडस्ट्री पर ये अध्ययन सालाना 4 लाख यूजर्स के आधार पर मुख्य ट्रेंड्स को ध्यान में रखकर किया गया है.