इन दिनों शेयर बाजार (Stock Market) में निवेशकों की रुचि पहले की अपेक्षा काफी अधिक हो गई है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार अर्थशास्त्री तीर्थंकर पटनायक के नेतृत्व में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की अर्थशास्त्रियों की टीम द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि मध्यमवर्ग के निवेशक भी अब भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में अपना निवेश बढ़ाने लगे हैं. जो निवेशक शेयर बाज़ार में पैसे लगा रहे हैं वह अब सोने में रुचि कम ले रहे हैं.
अध्ययन में कहा गया है कि इन निवेशकों की पहले शेयर बाजार में कम रुचि थी. नए आंकड़ों से पता चलता है कि खुदरा क्षेत्र में निवेश वर्ष 2020 में 5,1200 करोड़ रुपये से बढ़कर 86,000 करोड़ रुपये हो गया है. सितंबर 2021 तक छोटे निवेशकों के पास एनएसई में 9.4 प्रतिशत शेयर थे, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पास 21 प्रतिशत और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के 13.4 प्रतिशत थे. खुदरा निवेशकों ने अपनी रुचि को बेहतर गुणवत्ता वाले शेयरों तक सीमित कर दिया है.
एनएसई के अध्ययन में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि 2020 और 2021 के बुल मार्केट ने अच्छी वृद्धि की है. उदाहरण के लिए एफआईआई ने 2021 में 300 से अधिक नई कंपनियों में निवेश किया. डेटा से पता चलता है कि खुदरा कारोबार 2017 की पहली तिमाही में 53.4 प्रतिशत से लगभग 17 प्रतिशत अंक बढ़कर 2021 की तीसरी तिमाही में 70.5 प्रतिशत हो गया है. एनएसई के अध्ययन के अनुसार, इस साल खुदरा प्रवाह अधिक रहा है. किसी भी तरह से देखा जाए तो यह खुदरा निवेशकों का खराब प्रदर्शन नहीं है.
बाजार पहले की तुलना में बड़ी मध्यम वर्ग की आबादी के लिए स्थिर लाभ पैदा कर रहा है. कुछ जानकारों का कहना है कि मध्यमवर्गीय भारतीय महंगाई की मार से काफी परेशान है. खर्च अधिक और आवक कम होने के कारण उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए शेयर बाजार के अलावा कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा है.