LIC Disinvestment: कैबिनेट ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC के IPO के लिए मंजूरी दे दी है. इसके इश्यू साइज, प्राइसिंग और टाइमिंग जैसे मसलों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाला पैनल तय करेगा. डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने जनवरी में एक्चुरियल फर्म मिलीमैन एडवाइजर्स LLP इंडिया को IPO से पहले LIC की एंबेडेड वैल्यू की पड़ताल करने के लिए नियुक्त किया था. LIC के इश्यू को भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू माना जा रहा है.
LIC एक्ट में बजट संशोधनों को नोटिफाई किया जा चुका है और एक्चुरियल फर्म जल्द ही LIC की एंबेडेड वैल्यू का आकलन दे सकती है. एंबेडेड वैल्यू मेथड में बीमा कंपनी के भविष्य के मुनाफे की मौजूदा वैल्यू को भी मौजूदा नेट एसेट वैल्यू में शामिल किया जाता है.
इस साल के अंत तक आ सकता है IPO
12 जुलाई 2021 को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है, “आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पिछले हफ्ते LIC के IPO को मंजूरी दे दी है. डिसइनवेस्टमेंट पर वैकल्पिक मैकेनिज्म अब बेचे जाने वाले स्टेक की मात्रा तय करेगा.”
अधिकारी ने कहा है, “सरकार मौजूदा फिस्कल के अंत तक LIC के IPO को लाने की उम्मीद कर रही है.”
LIC के IPO के कुल इश्यू साइज का 10 फीसदी तक हिस्सा पॉलिसीहोल्डर्स के लिए आरक्षित किया जा जाएगा.
सरकार ने प्रस्तावित IPO के लिए पहले ही LIC एक्ट में जरूरी कानूनी बदलाव कर दिए हैं. डेलॉयट और SBI कैप्स को प्री-IPO ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स नियुक्त किया गया है.
सरकार का विनिवेश टारगेट
LIC की लिस्टिंग सरकार के लिए अपने विनिवेश टारगेट को पूरा करने के लिहाज से बेहद अहम है. सरकार का मकसद मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाना है. विनिवेश में स्टेक सेल और निजीकरण दोनों शामिल हैं.
इस 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में से 1 लाख करोड़ रुपये सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचकर हासिल करेगी. बकाया 75,000 करोड़ करुपये CPSE डिसइनवेस्टमेंट रिसीट्स के जरिए आएंगे.