इंश्योरेंस दिग्गज LIC ने मार्च तिमाही में शेयर बाजार में कुछ कंपनियों में बिकवाली कर मुनाफवसूली की है, एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है. ऐसी 296 कंपनियां जहां LIC की हिस्सेदारी 1 फीसदी से कम है उनमें कुल निवेश मार्च तिमाही में घटकर 3.66 फीसदी हो गया है जो अब तक का सबसे कम है. दिसंबर तिमाही में ये 3.7 फीसदी था. प्राइम डाटाबेस ने अपनी रिपोर्ट में ये जानकारी दी है.
भारत के सबसे बड़े संस्थागत निवेशक LIC ने ये बिकवाली मुनाफा समेटने की कोशिश में की है. प्राइम डाटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि साल 2012 में ये हिस्सेदारी 5 फीसदी थी जो अब तक का रिकॉर्ड रहा है.
वैल्यू आधार पर LIC के इक्विटी निवेश में बढ़त देखने को मिली है. ये रिकॉर्ड 7.24 लाख करोड़ रुपये पर रही – यानी लगभग 6.3 फीसदी की बढ़त. गौरतलब है कि इस दौरान बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 3.7 फीसदी चढ़ा तो वहीं निफ्टी 5.10 फीसदी.
इंश्योरेंस कंपनियों की होल्डिंग में भी गिरावट आई है और ये 5 साल के निचले स्तर पर रही है. 31 मार्च 2021 तक ये होल्डिंग घटकर 4.8 फीसदी पर आई है जबकि दिसंबर तिमाही में ये 5 फीसदी थी. वैल्यू आधार पर इसमें 3.09 फीसदी का उछाल आया है. पिछली तिमाही के मुकाबले मार्च तिमाही में इक्विटी एसेट 3.09 फीसदी बढ़कर 9.48 लाख करोड़ रुपये रहा है.
इंश्योरेंस कंपनियों के कुल इक्विटी निवेश की वैल्यू का तीन चौथाई हिस्सा अकेले LIC के पास है.
मार्च तिमाही में म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग्स 7.23 फीसदी रही आई है जबकि दिसंबर तिमाही में ये 7.42 फीसदी थी. ये लागातार चौथी ऐसी तिमाही रही जब म्यूचुअल फंड्स ने हिस्सेदारी घटाई है. इससे पहले लगातार 24 तिमाहियों तक बढ़त दर्ज की गई थी.
हालांकि घरेलू म्यूचुअल फंड का मार्च तिमाही में निवेश 4.81 फीसदी बढ़कर 14.30 लाख करोड़ हो गया है. इसके सापेक्ष में 31 दिसंबर 2020 तक ये 13.64 लाख करोड़ था.
मार्च तिमाही में नेट आउटफ्लो 26,810 करोड़ रुपये रहा है.
घरेलू संस्थागत निवेशक, जिनमें म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियां, बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल हैं, उनकी होल्डिंग भी 10 तिमाहियों के निचले स्तर पर है. मार्च तिमाही में ये 13.03 फीसदी पर आई जबकि दिसंबर तक ये 13.56 फीसदी पर थी.
मार्च तिमाही में DIIs की ओर से कुल बिकवाली 23,124 करोड़ रुपये रही. इस आउटफ्लो के बावजूद DII की होल्डिंग वैल्यू आधार पर 25.75 लाख करोड़ हो गई है जो अब तक का रिकॉर्ड हैं और पिछले तिमाही से 3.27 फीसदी ज्यादा.
रिपोर्ट के मुताबिक 713 कंपनियों के शेयरों में कुल 15.57 फीसदी की तेजी के बावजूद इनमें रिटेल निवेशकों की होल्डिंग में कमी आई है. लेकिन दूसरी तरफ ऐसी 863 कंपनियां जिनके शेयर प्राइस में 5.52 फीसदी की बढ़त आई है, उनमें रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक ये दर्शाता है कि रिटेल निवेशक तेजी में खरीदारी कर रहे हैं और कमजोरी में बिकवाली.