इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक छह साल पहले Oyo होटल्स एंड होम्स और जोस्टेल (Zo रूम्स) के बीच एक असफल अधिग्रहण सौदे ने Oyo के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. ऐसे समय में जब ये हॉस्पिटैलिटी स्टार्ट अप 1 से 1.2 अरब डॉलर के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के लिए एक ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस फाइल करने की तैयारी में है. Zo का दावा है कि Oyo ने छह साल पहले एक बायआउट डील के लिए किए बाइंडिंग एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय Oyo की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के पहले के ऑर्डर पर रोक लगाने के लिए एक याचिका पर विचार करेगा, जिसने कहा था कि हॉस्पिटैलिटी स्टार्टअप Zo रूम्स के साथ किए अपने समझौते का उल्लंघन कर रहा था.
मार्च में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में, कहा गया था कि Oyo और Zo के बीच टर्म शीट बाइंडिंग थी और बाद में ओयो ने टर्म शीट के ऑब्लिगेशंस को पूरा करना बंद कर दिया.
यह कदम संभावित रूप से Oyo के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है जो इस अक्टूबर में अपना IPO लाने की तैयारी में है. पब्लिकेशन ने बताया था कि कंपनी इस हफ्ते अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल करने की योजना बना रही है. लेकिन इसे अगले सप्ताह तक भी बढ़ाया जा सकता है.
अगस्त के अंत में, Zo रूम्स के कानूनी वकील ने बताया कि उन्होंने एक कोर्ट एप्लीकेशन दी है जिसमें Oyo को IPO के जरिए अपने शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर या कैप टेबल में बदलाव करने से रोकने या निषेध करने के लिए एक अंतरिम आदेश की मांग की गई थी.
माइक्रोसॉफ्ट से Oyo के निवेश के साथ-साथ इसके IPO पर रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पब्लिकेशन ने कहा कि एक इश्यूअर IPO लाने के लिए एलिजिबल नहीं है, अगर कोई आउटस्टैंडिंग कनवर्टेबल सिक्योरिटीज या कोई अन्य अधिकार है जो किसी भी व्यक्ति को इश्यूअर के इक्विटी शेयर रिसीव करने का ऑप्शन देता है.
पब्लिकेशन ने कहा कि साफ तौर से ये स्पष्ट करता है कि Oyo IPO लाने के लिए एलिजिबल (योग्य) नहीं होगा क्योंकि जोस्टेल निश्चित रूप से किसी अन्य अधिकार के लिए क्वालीफाई होगा जो जोस्टेल को Oyo के इक्विटी शेयर प्राप्त करने का अधिकार देगा.
इसलिए, आइडियली जब तक Oyo और जोस्टेल के बीच कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक Oyo को DRHP फाइल करने की परमिशन नहीं दी जानी चाहिए. वहीं Oyo के कानूनी वकील का कहना है कि इस पिटीशन से जोस्टल और उसके शेयर होल्डर्स को कोई राहत नहीं मिलेगी.