86% लार्ज-कैप इक्विटी फंडों का खराब प्रदर्शन, देखें पूरी रिपोर्ट

Large Cap Equity Fund: भारतीय इक्विटी लार्ज-कैप, ELSS, मिड/स्मॉल-कैप फंड जून तक पांच वर्षों में अपने बेंचमार्क से कम प्रदर्शन करते नज़र आ रहे हैं.

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image: pixabay, इक्विटी में निवेश के बारे में सोच-समझ कर निर्णय लें.

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Large Cap Equity Fund: लेटेस्ट S&P इंडेक्स वर्सेज एक्टिव (SPIVA®️) इंडिया स्कोरकार्ड के मुताबिक, जून 2021 को समाप्त एक वर्ष में उनके संबंधित बेंचमार्क के मुकाबले भारतीय इक्विटी लार्ज कैप फंडों का 86.2% हिस्सा, भारतीय इक्विटी मिड-/स्मॉल-कैप फंडों का 57.1% हिस्सा और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) फंडों का 53.7% हिस्सा डोमेस्टिक बेंचमार्क की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में असफल रहा है. हालांकि इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड वर्तमान में मार्च 2021 से नेट इनफ्लो देख रहे हैं, लेकिन जब कोई इसकी तुलना जून 2021 को समाप्त होने वाले एक वर्ष से करता है, तो यह एक पूरी तरह से अलग तस्वीर दर्शाती है.

इसके अलावा, लॉन्ग-टर्म होराइजन से देखें, तो जून 2021 में समाप्त होने वाले पांच वर्षों में भारतीय इक्विटी लार्ज-कैप, ईएलएसएस, और मिड / स्मॉल-कैप फंडों ने अपने बेंचमार्क से क्रमशः 82.7%, 76.2% और 69.6% कम प्रदर्शन किया है.

ग्लोबल रिसर्च एंड डिज़ाइन के एसोसिएट डायरेक्टर के आकाश जैन के मुताबिक, जून 2021 में समाप्त होने वाले एक वर्ष में, मिड- / स्मॉल-कैप इस स्कोरकार्ड में शामिल इक्विटी कैटेगरी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंडो की लिस्ट में रहे हैं, जिसमें से सबसे बेहतर 90.6% प्रदर्शन एसएंडपी बीएसई 400 मिड-स्मॉलकैप इंडेक्स का रहा था.

इस कैटेगरी के फंडों में निवेश करने वाले मार्किट पार्टिसिपेंट्स को काफी फायदा हुआ है, लेकिन इस अवधि के दौरान, पहले और तीसरे तिमाही फंड रिटर्न में अंतर 27.9% जितना अधिक था, जिसके कारण निवेशकों के लिए फंड सेलेक्ट करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.

जून 2021 में समाप्त होने वाले पांच वर्षों में, भारत सरकार के बॉन्ड और भारतीय कंपोजिट बॉन्ड फंड ने भी अपने-अपने बेंचमार्क से क्रमशः 71.4% और 97.9% कम प्रदर्शन किया है.

राइजिंग इक्विटी म्यूचुअल फंड

अगर कोई आज के इस साल के रुझान को देखे, तो बैंक एफडी और सोने पर फ्लैट रिटर्न जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स पर घटती यील्ड में निवेशक इक्विटी फंड को अपनाने के इच्छुक हैं.

हालांकि कुछ बढ़ोतरी नए फंड की पेशकश के कारण हो सकती है. इक्विटी के प्रति सामान्य रवैया में रिटेल निवेशकों से काफी सुधार हुआ है.

वहीं रिटेल इंवेस्टर की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जैसा कि पिछले कुछ महीनों में एसआईपी बुक वॉल्यूम में तेजी से क्लीयर है, खासकर मार्च के बाद से. यह सितंबर 2020 में लगभग 8,000 करोड़ से बढ़कर 21 अगस्त को लगभग 10,000 करोड़ हो गया है.

रिटेल इंवेस्टर मुख्य रूप से व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से इक्विटी पर एक लंबा दृष्टिकोण रखना जारी रखते हैं. भले ही बाजार नई ऊंचाई पर पहुंच गया हो, लेकिन उपरोक्त कारक रिटेल फलो का सपोर्ट करना जारी रखेंगे.

Published - October 7, 2021, 11:55 IST