Zomato की शेयर मार्केट में धमाकेदार शुरुआत से इसमें पैसा लगाने वाले निवेशक भले ही काफी खुश हैं लेकिन दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला की राय इस शेयर को लेकर बिल्कुल अलग है. लिस्टिंग के पहले दिन कंपनी का मार्केट कैप एक लाख करोड़ रुपए को पार कर गया. इस पर झुनझुनवाला ने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नई लिस्टेड फर्म का वैल्यूएशन कितना है. उन्होंने जौमेटो की इस मौजूदा तेजी की तुलना चर्चित ‘ट्यूलिप मैनिया’ से की है.
उन्होंने कहा, “मुझे नगदी दिखाइए! Zomato की मार्केट वैल्यू एक लाख करोड़ रुपये हो गई है, लेकिन उसे 3,000 करोड़ रुपये का नगदी हासिल कब होगा? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी कंपनी का मार्केट कैप कितना है. अहम बात यह है कि कोई कंपनी कितने समय तक चलती है. दुनिया डिजिटल बदलाव को बहुत ज्यादा वैल्यूएशन दे रही है. इस तरह का वैल्यूएशन मेरे हिसाब से ज्यादा लंबे समय तक चलने वाला नहीं है.” उन्होंने Equirus द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान यह बातें कही.
उन्होंने आगे कहा, “यह चर्चित ट्यूलिप मैनिया की तरह है और मैं गलत साबित होना चाहता हूं.” झुनझुनवाला ने बताया कि उनके पोर्टफोलियो का एक तिहाई निवेश अनलिस्टेड शेयरों में है.
झुनझुनवाला ने कहा, “मुझे नए जमाने की कंपनियों और युवा उद्यमियों का विचार पसंद है. उनका रवैया और जिस लगन के साथ वे काम करते हैं, वह अविश्वसनीय है. लेकिन, दौड़ कल खत्म नहीं हो रही है. ज़ारा या वॉलमार्ट का निर्माण किसने किया? समझें कि अगर आपके पास बिजनेस मॉडल नहीं है तो पूंजी महत्वपूर्ण नहीं है. जब मैं किसी कंपनी में निवेश करता हूं तो उसका बिजनेस मॉडल देखता हूं.”
झुनझुनवाला के मुताबिक, यह चिंता की बात है कि लोगों को वैल्यूएशन के नाम पर बहकाया जा रहा है. उन्होंने कहा, “लोग बहुत आशावादी हैं कि ये कंपनियां बहुत तेजी से नकदी प्रवाह जनरेट करेंगी. ये नए जमाने की कंपनियां दुनिया में अहम योगदान दे रही हैं. मैं उनकी प्रशंसा करता हूं, लेकिन, उद्यमियों को वैल्यूएशन के नाम पर गुमराह किया जा रहा है.”
राकेश झुनझुनवाला कहते हैं, “हमारे पास विकास के सभी तत्व हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महान नेता हैं. वह दूर के समाजवादी हैं. मैं गलत हो सकता था, लेकिन मेरा अनुमान है कि इस साल हमारी ग्रोथ रेट दहाई अंकों में होगी. हम 7-7.5% से शुरू करेंगे और 10% तक जाएंगे. अमेरिका की भारत से तुलना करना बेमानी है. सकल घरेलू उत्पाद में अमेरिका का 9% कॉर्पोरेट लाभ है. हमारे पास यह लगभग 3% है. हमें कॉरपोरेट सुधारों की जरूरत है. अच्छी बात यह है कि भारत में सबसे कम कॉर्पोरेट ऋण और एक बढ़िया बैंकिंग प्रणाली है.”