सेंसेक्स के 60 हजारी होने की ये है पूरी कहानी

बाजार ने हर्षद मेहता घोटाला, मुंबई और BSE की इमारत में विस्फोट, कारगिल युद्ध, संसद में आतंकी हमले, वैश्विक वित्तीय संकट और COVID तक सब देखा है.

market outlook: these factors will set the tone of market next week

image: Unsplash, बाजार की नजर ऑटो स्टॉक्स पर भी रहेगी क्योंकि कंपनियों के 1 अक्टूबर से बिक्री के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे.

image: Unsplash, बाजार की नजर ऑटो स्टॉक्स पर भी रहेगी क्योंकि कंपनियों के 1 अक्टूबर से बिक्री के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे.

Sensex From 1,000 to 60,000: बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स ने एक ऐतिहासिक और यादगार यात्रा तय की है. 25 जुलाई 1990 को 1,000 के अंक को छूने से लेकर शुक्रवार को पहली बार 60,000 अंक तक पहुंचने का सेंसेक्स का सफर काफी वोलेटाइल और रोचक घटनाओं से भरा रहा है. सेंसेक्स को 1,000 के स्तर से 60,000 के स्तर तक पहुंचने में 31 साल से थोड़ा अधिक समय लगा है. पिछले कुछ वर्षों में, फ्रंटलाइन इंडेक्स सेंसेक्स ने कई रिकॉर्ड मुकाम हासिल किए हैं. यह सूचकांक पहली बार 6 फरवरी 2006 को 10,000 अंक पर पहुंचा था.

29 अक्टूबर 2007 को इसने 20,000 का स्तर हासिल किया, फिर 4 मार्च, 2015 को बेंचमार्क ने 30,000 के स्तर को छुआ. BSE बेंचमार्क इंडेक्स ने 23 मई, 2019 को 40,000 का स्तर बनाया और 21 जनवरी, 2021 को 50,000 के स्तर पर पहुंच गया था. दिलचस्प बात यह है कि, 2021 में 50,000 के स्तर और 60,000 के स्तर दोनों को तोड़ दिया गया है, जो दर्शाता है कि, COVID-19 की तबाही के बीच भी बाजार में आगे बढ़ने का सामर्थ्य है.

BSE के CEO का ट्वीट

BSE के CEO आशीष कुमार चौहान द्वारा शुक्रवार को ट्वीट किए गए “जर्नी ऑफ सेंसेक्स” पर एक स्लाइड में बताया गया है कि बाजार ने पिछले कुछ वर्षों में कई अनिश्चितताओं का सामना किया है, जिसमें 1992 में हर्षद मेहता घोटाला देखने से लेकर 1993 में मुंबई और BSE की इमारत में विस्फोट, कारगिल युद्ध (1999), अमेरिका और भारतीय संसद में आतंकी हमले (2001), सत्यम घोटाला, वैश्विक वित्तीय संकट, विमुद्रीकरण, पीएनबी घोटाला और COVID-19 शामिल हैं.

कई ट्रिगर के कारण आई तेजी

वैश्विक बाजारों में कमोडिटी बूम, वैश्विक तरलता, COVID-19 वैक्सीन को मंजूरी और टीकाकरण कार्यक्रम के साथ कई स्वस्थ ट्रिगर्स ने भी बाजार में तेजी लाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. BSE बेंचमार्क इंडेक्स इस साल अब तक 25 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है. इस साल अगस्त में शेयर बाजार कई नई ऊंचाईयों पर पहुंचा हैं. BSE का बेंचमार्क पिछले महीने 9 फीसदी से ज्यादा चढ़ा था.

रोलर-कोस्टर राइड

2020 में बाजार ने भारी गिरावट देखी थी, जिसकी तुलना में ये रैली काफी महत्वपूर्ण हैं. मार्च 2020 में इक्विटी मार्केट्स क्रेश हो गए थे. BSE बेंचमार्क उस महीने के दौरान 8,828.8 अंक या 23 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ नीचे आ गया था. महामारी की चपेट में आए वर्ष के दौरान रोलर-कोस्टर राइड का सामना करने के बाद, 2020 में BSE बेंचमार्क में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

तेजी रहेगी जारी

Equitymaster के रिसर्च एनालिस्ट बृजेश भाटिया ने कहा, “दलाल-स्ट्रीट का सेंटिमेंट बुलिश है. यदि कुछ प्रतिशत की गिरावट आती हैं, तो ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए यह प्रवेश करने का एक अच्छा अवसर बन सकती हैं. हम लार्जकैप से लेकर मिडकैप और स्मॉलकैप तक व्यापक आधार पर खरीदारी देख रहे हैं. बाजार में उत्साह जारी रहने की संभावना है. बाजार जनवरी-फरवरी 2022 तक बढ़ सकता है. हालांकि अस्थिरता में भी तेजी आने की संभावना है.”

Published - September 24, 2021, 04:44 IST