इस हफ्ते मार्केट पर बियर अपनी पकड़ बनाते हुए दिखे, जिस वजह से बेंचमार्क इंडेक्स गिर गए. कई शेयरों का वैल्यूएशन आसमान छू रहा है, हालांकि उनका फंडामेंटल पीछे छूटता दिख रहा है. दिलचस्प बात यह है कि FII और DII ने उन अधिकांश कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी है, जिन्होंने कोई निगेटिव खबर नहीं होने के बावजूद एक हफ्ते के अंदर तेजी से करेक्शन किया है. यह डॉव थ्योरी के फाइनल फेज के अनुसार है, जिसमें इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (स्मार्ट मनी माना जाता है) एक तेज रैली के दौरान धीरे-धीरे मुनाफा बुक करते हैं, जबकि रिटेल इन्वेस्टर इन वॉल्यूम को एब्जॉर्ब करते हैं और रैली को जारी रखते हैं. डॉव थ्योरी का असर यहां साफ देखा जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में रिटेल इन्वेस्टर्स तेजी से शेयरों को जमा कर रहे हैं.
बुल मार्केट की शुरुआत तब हुई जब महामारी की आशंकाओं के कारण मार्केट निचले स्तर पर पहुंच गया. इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने दुनिया भर में प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा, लिक्विडिटी बढ़ने, और बेहतर बिजनेस सेंटीमेंट के बाद स्टॉक खरीदना शुरू कर दिया. स्टॉक की कीमतों में इतनी तेजी से वापसी के साथ, उत्साहित रिटेल इन्वेस्टर्स ने भी मार्केट में एंटर किया. FOMO आग की तरह फैल गया और रिकॉर्ड संख्या में नए इन्वेस्टर्स शामिल हो गए.
ऐसी स्थितियों में, रिटेल इन्वेस्टर्स फंडामेंटल की जांच किए बिना, मार्केट में किसी भी संभावित गिरावट में शेयरों को खरीदने की संभावना रखते हैं. जैसा कि अतीत में देखा गया है, जब वैल्यूएशन अंडरलाइंग फंडामेंटल से अलग हो जाते हैं, तो उम्मीदें और अपेक्षाएं मार्केट को ऊपर की ओर ले जाती हैं. इसके बाद आमतौर पर इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स मार्केट से धीरे धीरे अपना पैसा निकालते हैं जिसके चलते बिकवाली या करेक्शन होता है. केवल आने वाला समय ही बताएगा कि हम भविष्य में इस तरह की तेज बिकवाली देखेंगे या नहीं, लेकिन इस सप्ताह की घटनाएं संकेत दे रही हैं कि निवेशकों को बेहद सतर्क रहना चाहिए.
इवेंट ऑफ द वीक
कई कंपनियों ने अच्छे नंबर पोस्ट करने के बावजूद अपने स्टॉक की कीमतों में अचानक गिरावट देखी. हालांकि ये विरोधाभास देखकर हैरानी हो सकती है. यह इस वजह से हो सकता है कि इन्वेस्टर वाइडर पर्सपेक्टिव कंसीडर करने के बजाय एक्सपेक्टेशंस को पूरा करने के लिए परिणामों पर अधिक जोर दे रहे हैं. नतीजतन, उनके एस्टीमेट से रिजल्ट थोड़ा भी अलग होता है तो उनकी घबराहट बढ़ जाती है. इसलिए इन्वेस्टर्स को सलाह दी जाती है कि वो अलग-अलग एस्टीमेट परफॉर्मेंस की तुलना करने के बजाय कंपनियों के लॉन्ग टर्म पोटेंशियल वैल्यू को कंसीडर करें.
टेक्निकल आउटलुक
एक वॉलेटाइल हफ्ते के बाद निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुआ. दूसरे उभरते मार्केट इंडेक्स भी मौजूदा स्तरों पर प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं और इसलिए इंडेक्स में और करेक्शन होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. बेंचमार्क इंडेक्स को 18050 के लेवल पर मजबूत सपोर्ट मिला है. इस सपोर्ट लेवल के नीचे कोई भी गिरावट पूरे मार्केट में मंदी की भावना को ट्रिगर कर सकती है. जब तक इंडेक्स एक निर्णायक कदम नहीं उठाता, हम ट्रेडर्स को सतर्क नजरिया बनाए रखने और कोई भी एग्रेसिव ट्रेड न करने की सलाह देते हैं.
आने वाले हफ्ते से उम्मीदें
अगले हफ्ते मार्केट के सीमित दायरे में रहने की संभावना है. इस हफ्ते पहली बार 40,000 का आंकड़ा पार करने के बाद, अगले सप्ताह बैंक निफ्टी के लाइमलाइट में रहने की संभावना है क्योंकि कई बैंक अपने रिजल्ट की घोषणा करेंगे. इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुधार, बढ़ी हुई कलेक्शन एफिशिएंसी और स्टेबल एसेट क्वालिटी को देखते हुए, इस इंडस्ट्री से एक अच्छे अर्निंग आउटलुक की उम्मीद की जा सकती है. इसके अलावा, अगले हफ्ते महीने की समाप्ति के साथ, मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है.
(लेखक सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च हेड हैं. व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं)