IPOs: इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स (IPOs) की बाढ़ ने इन्वेस्टमेंट बैंकरों को 2021 में रिकॉर्ड फीस जमा करने में मदद की है. इस साल अब तक IPOs से अर्जित फीस 137.7 मिलियन डॉलर (करीब 1,013 करोड़ रुपये) है. वर्ष 2021 में अब तक 62,600 करोड़ रुपये से ज्यादा के आईपीओ लॉन्च हो चुके हैं. ये 2017 के बाद सबसे अधिक है. उस वर्ष 866 करोड़ रुपये का दूसरा सबसे अधिक शुल्क संग्रह (fee mop-up) देखा गया था. बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिफाइनिटिव ( Refinitiv ) के आंकड़ों के हवाले से ये जानकारी दी है.
2020 की शुरुआत से, इन्वेस्टमेंट बैंकरों ने IPO फीस के माध्यम से लगभग 1,800 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस साल भारत की फीस आईपीओ से 13.7 अरब डॉलर के वैश्विक शुल्क पूल का सिर्फ 1 फीसदी है.
प्राइम डेटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘आईपीओ फीस का डील एक्टिविटी और वॉल्यूम से सीधा संबंध है. इस साल अब तक जारी किए गए इश्यू का मूल्य किसी भी वर्ष में दूसरा सबसे अधिक है, और इसलिए अर्जित की गई फीस समान रूप से अधिक है.’
फूड डिलीवरी फर्म ज़ोमैटो के 9,375 करोड़ रुपये के आईपीओ ने इन्वेस्टमेंट बैंकरों के लिए 229 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड फीस हासिल की.
विशेषज्ञों ने कहा कि पेटीएम (Paytm), नायका (Nykaa), इक्सिगो (Ixigo), मोबिक्विक (MobiKwik) और पीबी फिनटेक (PB Fintech) जैसी नए जमाने की कंपनियों से फीस का नया रिकॉर्ड बन सकता है, जिनके आईपीओ आने वाले महीनों में बाजार में आ सकते हैं.
सेंट्रम कैपिटल के पार्टनर (ईसीएम) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘नए जमाने की कंपनियों के बैंकरों के साथ काफी अच्छे संबंध हैं, जो उन्हें प्राइवेट इक्विटी प्लेयर्स से धन जुटाने में मदद करते हैं.
इसे देखते हुए, ‘मुझे बहुत आश्चर्य नहीं होगा जब वे पब्लिक ऑफरिंग लेकर बाजार में आएंगे तो बैंकरों को अधिक शुल्क देने को तैयार होंगे.’
हल्दिया (Haldea) के अनुसार, इस साल बहुत अधिक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (PSU) के आईपीओ बाजार में नहीं आए और इससे उन्हें ज्यादा शुल्क हासिल करने में मदद मिली.
हल्दिया ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आमतौर पर बड़े होते हैं लेकिन बैंकरों को कम शुल्क देते हैं.’ IRFC और RailTel Corporation of India केवल दो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं जिन्होंने इस साल अपने IPO लॉन्च किए हैं.