किसी भी IPO पर दांव लगाने से पहले इन 6 बातों का रखें ख्याल

IPO रिटेल निवेशकों के लिए मौका है कि वे अच्छी कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा बनकर मुनाफा कमा सकें, लेकिन किस IPO पर पैसा लगाएं?

know these 9 important things about latent view ipo before investing

निवेशक न्यूनतम 76 शेयर और उसके मल्टिपल में बोली लगा सकते हैं. यानी, प्राइस बैंड के हाई एंड पर उन्हें कम से कम 14,972 रुपये बिड करने होंगे

निवेशक न्यूनतम 76 शेयर और उसके मल्टिपल में बोली लगा सकते हैं. यानी, प्राइस बैंड के हाई एंड पर उन्हें कम से कम 14,972 रुपये बिड करने होंगे

जब कंपनियां लोगों और संस्थागत निवेशकों से अपने विस्तार या कर्ज चुकाने के लिए पैसा जुटाना चाहती हैं तो वो शेयर बाजार का रुख करती हैं. शेयर बाजार में लिस्ट होने के लिए वे इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लाती हैं. रिटेल निवेशकों के लिए ये मौका होता है अच्छी कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा बनने और इस हिस्सेदारी से मुनाफा कमाने का.

पिछले 2-3 दिनों में ही गोएयर (गो फर्स्ट), कारट्रेड और कृष्णा डायग्नोस्टिक ने मार्केट रेगुलेटर SEBI में IPO के लिए दस्तावेज (DRHP) जमा कराए हैं. तो वहीं श्याम मेटालिक्स एंड एनर्जी को भी सेबी से IPO के लिए मंजूरी मिल गई है.

लेकिन किस IPO में पैसा लगाना चाहिए और किसमें नहीं? IPO में निवेश करने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? निवेश का फैसला लेने से पहले होमवर्क जरूरी है.

अनलिस्टेड एरिनी (UnlistedArena.com) के फाउंडर अभय दोशी का कहना है कि कंपनियों द्वारा दाखिल किए DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉसपेक्टस) और RHP कंपनी और इंडस्ट्री का एंसाक्लोपीडिया होता है. इससे आपको कंपनी के भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी मिलती है. दोशी के मुताबिक IPO पर दांव लगाने से पहले इन बातों का ख्याल रखना चाहिए –

1. आप निवेश क्यों कर रहे हैं ये उद्देश्य साफ हो. एक्सचेंज पर डेब्यू कर रही हर कंपनी आपको पोर्टफोलियो के लिए सही शेयर हो ये जरूरी नहीं. निवेश से पहले आपको साफ पता होना चाहिए कि आप लिस्टिंग पर होने वाली कमाई के लिए दांव लगा रहे हैं या लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं. स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी की लिस्टिंग भले धमाकेदार हो लेकिन ये जरूरी नहीं कि वो मोमेंटम आगे भी जारी रहेगा.

2. आपने अपना उद्देश्य तय कर लिया तो अब समझें कि कंपनी को पैसों की जरूरत क्यों है. शेयर बाजार से जुटाई रकम को कंपनी किस काम के लिए इस्तेमाल करेगी. क्या कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए पैसा जुटा रही है या फंड का इस्तेमाल क्षमता विस्तार के लिए करेगी, या फिर मौजूदा निवेशकों को एक्जिट करने का मौका दे रही है.

3. कंपनी का IPO किस वैल्यूएशन पर आ रहा है ये चेक करें. कंपनी जिस इंडस्ट्री और सेक्टर में काम करती है उस क्षेत्र की अन्य कंपनियों के वैल्यूएशन से उसकी तुलना करें. प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो (P/E) और कंपनी पर कितना कर्ज है (D/E) इस आधार पर आप तुलना कर सकते हैं.

4. आपने अक्सर देखा होगा कि जिन IPOs में शेयर बाजार के दिग्गज जैसे राकेश झुनझुनवाला या राधाकिशन दमानी का नाम हो वे निवेशकों को ज्यादा आकर्षक लगते हैं. ऐसे निवेशकों के साथ ही आपको ये देखना जरूरी है कि कंपनी के प्रोमोटर का बैकग्राउंड कैसा है, कंपनी का और क्या-क्या बिजनेस है.

5. अभय दोशी मानते हैं कि कई रिटेल निवेशक ग्रे मार्केट के रुझान देखकर अपने फैसले की दिशा तय करते हैं. उनके मुताबिक ग्रे मार्केट छोटी अवधि के रुझान तय करने में कामयाब हो सकता है लेकिन लंबी अवधि में प्रदर्शन कैसा होगा या कंपनी के फंडामेंटल कैसे हैं, इससे ग्रे मार्केट का कोई संबंध नहीं है.

6. अभय मानते हैं कि IPO में आवेदन देने से पहले बाजार में सेंटिमेंट कैसे हैं और आगे कौन से बड़े इवेंट हैं जो बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं, इसपर गौर करना जरूरी है. बाजार का सेंटिमेंट या रुझान कैसा है, ये IPO के रिस्पॉन्स पर असर डाल सकता है.

समझें क्या होता है IPO?

IPO में आपको कम से कम एक लॉट के लिए बोली लगानी होती है. कंपनी IPO के लिए एक प्राइस बैंड तय करती है जिसके बीच आप बिड कर सकते हैं. 2 लाख रुपये से कम निवेश करने वाले को रिटेल निवेशक माना जाता है. लॉट तय होने से IPO में न्यूनतम निवेश रकम तय हो जाती है.

IPO के बाद डिमांड और सब्सक्रिप्शन के आधार पर अलॉटमेंट होता है. और इसके बाद लिस्टिंग होती है. लिस्टिंग इश्यू प्राइस के ऊपर या उससे कम भाव पर भी हो सकती है.

ऊंचे भाव पर लिस्ट होने को प्रीमियम पर लिस्ट होना कहा जाता है जबकि अगर इश्यू प्राइस से कम कीमत पर लिस्टिंग हुई तो उसे डिस्काउंट पर लिस्टिंग कहा जाता है. स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की खरीद-बिक्री शुरू होने को ही लिस्टिंग कहा जाता है.

Published - May 18, 2021, 10:07 IST