ब्लूमबर्ग-बार्कलेज और जेपी मॉर्गन सहित ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में भारत का संभावित स्तर 0.3 से 10% रेंज में हो सकता है. क्योंकि विदेशी फंडों द्वारा असीमित खरीद के लिए बकाया सिक्योरिटीज की मात्रा 200 अरब डॉलर की सीमा को पार कर सकती है. भारतीय समाशोधन निगम (CCIL इंडिया) के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) के तहत खरीद सकते हैं, जो अब 14 अलग-अलग समय में लगभग 203 अरब डॉलर (बकाया मूल्य) हैं. उन सिक्योरिटीज की मैच्योरिटी अवधि 2024 से 2050 तक है.
ICICI बैंक के ग्लोबल मार्केट्स के ग्रुप हेड बी प्रसन्ना ने कहा कि बिना किसी निवेश प्रतिबंध के विदेशी निवेशकों के लिए यह काफी बड़ा बाजार है. इसलिए हम मानते हैं कि जेपी मॉर्गन और ब्लूमबर्ग-बार्कलेज जैसे वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स प्रवाइडर के लिए इस बाजार को लंबे समय तक नजरअंदाज करना बहुत मुश्किल होगा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकन इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि ग्लोबल बॉन्ड सूचकांकों में भारत के शामिल होने के बाद अगले दस सालों में 250 अरब डॉलर की बढ़ोतरी और भारत सरकार के लिए उधार लेने की लागत में 50 बेस नंबर की कमी आने की उम्मीद है.
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, अगर जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में केवल एफएआर (FAR) सिक्योरिटीज को शामिल किया जाता है, तो भारत इंडेक्स में 10 फीसदी वेटेज कैप तक पहुंच जाएगा. ब्लूमबर्ग-बार्कलेज इंडेक्स के लिए यह करीब 0.3 फीसदी रहने की उम्मीद है. ऐसा अनुमान है कि इंडिया को दोनों इंडेक्स में या दोनों में से किसी एक इंडेक्स में शामिल किया जा सकता है. माना जा रहा है कि भारत सरकार दोनों इंडेक्स प्रोवाइडर से बातचीत कर रही है. बॉन्ड इंडेक्स के लिए FAR सिक्योरिटीज में बेहतर सुधार की संभावना है.
बोफा सिक्योरिटीज के सिंगापुर स्थित एनालिस्ट अभय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में बकाया सॉवरेन बॉन्ड के लगभग 18 फीसदी पर FAR योग्य सिक्योरिटीज, सूचकांक में कई अन्य देशों की तुलना में अभी भी काफी बड़ी हैं. अभय गुप्ता के मुताबिक बकाया राशि तेजी से बढ़ रही है. सूचकांक समावेशन शुरू होने से पहले इसमें और 25 से 50 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
बोफा सिक्योरिटीज के अनुसार, भारत को जेपीएम जीबीआई-ईएम जीडी (JPM GBI-EM GD) में अधिकतम अनुमत 10 फीसदी वेटेज मिलने की संभावना है, जो लगभग 22 से 25 अरब डॉलर है. ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट इंडेक्स में शामिल किए जाने पर भारत में अनुमानित 7-8 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है.