सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड यानी सीडीएसएल कह रहा है कि डिमैट अकाउंट (Demat Account) की संख्या 4 करोड़ हो गयी है. अब इसमें नेशनल सिक्यूरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड यानी एनएसडीएल के 2-2.5 करोड़ से भी ज्यादा के आंकडे को ले लें तो संख्या 6-6.5 करोड़ या उससे ज्यादा पहुंच सकती है. चूंकि डिमैट अकाउंट शेयर बाजार की पहली सीढ़ी है, लिहाजा कहना गलत ना होगा कि शेयर बाजार में निवेशको की संख्या बढ रही है.
कौन हैं ये निवेशक? भारतीय स्टेट बैंक की एक रपट बताती है कि व्यक्तिगत निवेशकों ने ताजा कारोबारी साल के पहले दो महीने यानी अप्रैल-मई के दौरान खुदरा निवेशकों ने 44.7 लाख डिमैट अकाउंट खोले. रपट नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के हवाले से बताती है कि बाजार के कुल कारोबार में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 45 फीसदी पर पहुंच गयी है जबकि यह संख्या बीते साल मार्च में यह हिस्सा 39 फीसदी के करीब था.
आखिर खुदरा निवेशकों को क्यो स्टॉक एक्सचेंज इतना भा रहा है? शेयर बाजार पर नजर रखने वाली एजेंसी प्राइम डाटाबेस बताती है कि 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल 2020-21 के दौरान भारतीय कंपनियों ने रिक़ॉर्ड 1.88 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा शेयर जारी कर जुटाएं औऱ वो भी तब जब कोविद का कहर जारी था. बात चाहे, आईपीओ की हो या फिर एफपीओ की, दोनों ही में छोटे निवेशकों ने दिल खोल कर पैसा लगाया. प्राइम डाटाबेस के मुताबिक इंडिगो पेंट्स के आईपीओ में छोटे निवेशकों की ओऱ से 25.88 लाख आवेदन मिले, वहीं Mtar Tech के शेयरों के लिए 25.87 लाख औऱ मजगांव डॉक के लिए 25.36 लाख आवेदन खुदरा निवेशकों ने लगाए.
तो क्या फायदा हुआ? बीते कारोबारी साल आईपीओ के बाद जिन 28 कंपनियों के शेयरों की खरीद-फरोख्त शेयर बाजार पर शुरु हुई, उनमें पहले ही दिन (बंद भाव के आधार पर) 19 ने 10 फीसदी से ज्यादा का फायदा दिया. बर्गर किंग में 131 फीसदी का लाभ हुआ तो हैपिएस्ट माइंड में 123 फीसदी और इंडिगो पेंट्स में 100 फीसदी से ज्यादा का मुनाफा मिला.
अब इस कारोबारी साल कम से कम 32 कंपनियां या तो शेयर बाजार में कदम रख चुकी हैं, या आने वाली है. अनुमान है कि यह सब मिलकर 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बाजार से उठाएंगी. अब अगर डिमैट अकाउंट से मिले संकेतों को मानें तो इन सब के लिए भी बड़ी संख्या में खुदरा निवेशक तैयार हो रहे हैं. तो क्या माना जाए कि खुदरा निवेशक बाजार की उस धारणा के खिलाफ चल पड़े हैं जिसमें कहा जाता है कि बाजार में जब गिरावट हो तब निवेश करें और जब बाजार चढ़े तो मुनाफा कमाएं? यदि हां, तो क्या यह सही है? और इस स्थिति में विकल्प क्या है?
लोगों को लगता है कि शेयर बाजार फटाफट कमाई का जरिया बन सकता है. लेकिन यह सब कुछ इतना आसान होता तो कहना ही क्या. सच पूछिए तो खुदरा निवेशकों के लिए य़ह सही सोच नहीं है. पहली बात तो यह कि बाजार भारी अनिश्चितता का दूसरा नाम है. दूसरी बात यह कि ज्यादात्तर ऐसे निवेशकों के लिए साफ नहीं कि वो एक लंबे समय के लिए निवेशक के रुप में बाजार में रहना चाहते हैं या फिर रोज खऱीद-फरोख्त करने वाले इंट्रा डे ट्रेडर. तीसरी बात यह कि हर किसी के लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग समझना और करना आसान नहीं होता. चौथी और अंतिम बात, खुदरा निवेशकों के पास संस्थागत निवेशकों की तरह ना तो जोखिम पूंजी होती है औऱ ना ही अनुभव. हो सकता है कि कुछ समय के लिए कुछ खुदरा निवेशक को थोड़ा फायदा हो जाए, लेकिन इस बात के भी ज्यादा आसार हैं कि उस छोटे फायदे को बड़े फायदे में तब्दील के चक्कर में खुदरा निवेशक बड़ी पूंजी गंवा बैठे और फिर कहें कि शेयर बाजार ठीक नहीं है.
तो पूरी बात का लब्बोलुआव यह है कि शेयर बाजार में अगर पैसा लगा रहे हैं तो टिकने की बात सोचिए. अगर ऐसा नहीं कर सकते तो दूसरे विकल्प तलाशें. आपको बता दें कि कई विकल्प है, जिसमें बड़ी कमाई की उम्मीद भले ही नहीं हो, फिर भी कम और कुछ मामलों में तय कमाई का रास्ता तो बना है. छोटी बचत योजनाएं जैसे एनएससी या डाकघर की मासिक बचत योजना आपके लिए ऐसा ही एक विकल्प हो सकता है. जानी मानी कंपनियों के बांड या सरकारी प्रतिभूतियों में पैसा लगाने वाले म्यूचुअल फंड का रास्ता भी है और हां सोना तो है हीं.
सोने पर बीते एक साल में दोहरे अंक में रिटर्न मिला है. पुरानी कहावत है कि सोना औऱ जमीन लोगों को निराश नहीं करते, क्योंकि इनकी आपूर्ति सीमित है और मांग हमेशा बढ़ती ही रहती है. अब तो सोना कई रुप में आपके लिए निवेश का मौका देता है। आप बिस्कुट के रुप में सोना खरीद सकते हैं, आप गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में पैसा लगा सकते हैं या फिर सोवरिन गोल्ड बांड का विकल्प है. सोवरिन गोल्ड बांड मे मियाद पूरी होने पर बाजार कीमत के हिसाब से पैसा वापस मिलना और तब तक हर साल ढ़ाई फीसदी की दर से ब्याज आपके लिए सोने पर सुहागा है.
इसमे कोई शक नही कि जिन विकल्पों की यहां चर्चा की गयी, वो आपसे पैसे के साथ-साध धैर्य का निवेश भी मांगता है, यानी आपको कुछ समय इंतजार करना होगा. लेकिन यह इंतजार आपको अनिश्चतिता के जाल से बचाएगा औऱ सबसे बड़ी बात कम से कम आपके मूल रकम के बचे रहने की संभावना ज्यादा होगी. याद रखिए जल्दबाजी ठीक नहीं. पैसे के मामले में तो बिल्कुल भी नहीं.