Market Capitalization: शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन आप नहीं समझ पा रहे हैं कि पैसे को कहां निवेश करना चाहिए. चिंता मत कीजिए. आज हम इसके बारे में आपको बताएंगे. मगर, सबसे पहले मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization) को समझना जरूरी है.
मार्केट कैपिटलाइजेशन कंपनी के मौजूदा शेयर मूल्य और बकाया शेयरों की कुल संख्या के आधार पर कंपनी की वैल्यू बताता है.
इसकी कैलकुलेशन बाजार में किसी कंपनी के बकाया शेयरों की कुल संख्या को प्रत्येक शेयर की मौजूदा कीमत से गुणा करके की जाती है. उदाहरण से समझें मार्केट कैपिटलाइजेशन कैसे काम करता है.
मान लीजिए कि एबीसी कंपनी के बाजार में 1,00,000 बकाया शेयर हैं और एबीसी कंपनी के प्रत्येक शेयर की कीमत 100 रुपए है, तो एबीसी कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन की कैलकुलेशन कुछ इस तरह से होगी.
बकाया शेयर x मूल्य प्रति शेयर
1,00,000 x 100 = Rs 1,00,00,000
इसलिए, एबीसी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1,00,00,000 रुपये है.
स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करने वाली कंपनियों को आमतौर पर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है, लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप. आइये तीनों कैप के बारे में विस्तार से जानते हैं
लार्ज-कैप स्टॉक अच्छी तरह से स्थापित कंपनियां हैं, जो एक महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी की कमान संभालती हैं. और उद्योग पर हावी होने के साथ-साथ बहुत स्थिर व्यवसाय मॉडल भी रखती हैं.
आमतौर पर इनका मार्केट कैप 20 हजार करोड़ या उससे ज्यादा का होता है. खराब दौर में भी ये कंपनियां खुद को संभाले रखती हैं. इसके अलावा, ऐसी कंपनियों की प्रतिष्ठा दशकों से तैयार होती है.
अगर आप कम रिस्क लेते हुए इन कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं, तो लार्ज कैप अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं. ये मिड कैप और स्मॉल कैप की तुलना में कम रिस्क वाले हैं.
स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड रिलायंस इंडस्ट्रीज और इंफोसिस लार्ज कैप कंपनियों के उदाहरण हैं. इनकी मजबूत मौजूदगी और लगातार अच्छी परफॉर्मेंस के कारण लॉन्ग टर्म निवेश करने वालों के लिए ये अच्छा विकल्प हैं.
मिड कैप स्टॉक्स वो होते हैं, जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा और 20 हजार करोड़ से कम है.
लार्ज कैप की तुलना में इन कंपनियों में निवेश करना थोड़ा अधिक जोखिमपूर्ण है. जबकि दूसरी तरफ, लंबे दौर में उनमें ये क्षमता होती है कि खुद को लार्ज कैप में तब्दील कर सकें.
इन कंपनियों में लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है. मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, कैस्ट्रोल इंडिया और रिलेक्सो फुटवियर जैसी कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड मिड कैप के उदाहरण हैं.
स्मॉल कैप स्टॉक वो कंपनियां होती हैं, जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन 5000 करोड़ से कम होती है. ये कंपनियां आकार में तुलनात्मक रूप से कम होती हैं, लेकिन इनमें ग्रोथ की गुंजाइश ज्यादा होती है.
ऐसी कंपनियों की प्रकृति अस्थिर होती है. स्मॉल कैप कंपनियों की अंडर परफॉर्मेंस का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन जब इकॉनमी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो सबसे ज्यादा मुनाफा इन्हीं कैप में होता है. ये ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं.
इंजीनियर्स इंडिया, वकरंगी और कावेरी सीड्स स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड स्मॉल कंपनियों के उदाहरण हैं.
मार्केट कैपिटलाइजेश स्टॉक पोर्टफोलियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. जब मार्केट अलग अलग दौर से गुजरता है, तो लार्ज, मिड और स्मॉल कैप के प्रदर्शन में बदलाव होता है.
उदाहरण के लिए जब लार्ज कैप ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो मिड कैप या स्मॉल कैप ऊपर की तरफ जाते हैं. जब मिड और स्मॉल कैप का प्रदर्शन खराब होता है, तो लार्ज कैप स्थिर और सधी हुई ग्रोथ करते हैं.
इसलिए ये ध्यान देने वाली बात है कि स्टॉक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग कैप के स्टॉक्स रखने चाहिए. यह आपके पोर्टफोलियो को बाजार की बदलती परिस्थितियों से निपटने में मदद करेगा.