बाजार में करेक्शन के वक्त क्‍या हो निवेशकों की स्ट्रैटेजी? क्‍या है JM फाइनेंशियल के रामनाथन की सलाह

जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट के एमडी और सीआईओ-इक्विटी सतीश रामनाथन के मुताबिक, त्योहारी सीजन शुरू होने तक इंतजार करने की जरूरत है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 24, 2021, 01:47 IST
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Satish Ramanathan, MD and CIO - Equity, JM Financial Asset Management

Satish Ramanathan, MD and CIO - Equity, JM Financial Asset Management

पिछले साल मार्च 2020 से जारी तेजी में BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स BSE सेंसेक्स और NSE Nifty को पीछे छोड़ दिया है. जहां पिछले 17 महीनों के दौरान BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में क्रमश: 130% और 190% की तेजी आई है. वहीं BSE सेंसेक्स में सिर्फ 107% की ही तेजी देखने को मिली है. तो क्या इस शानदार रैली के बाद हमें एक स्‍मॉल करेक्शन देखने को मिल सकता है? वहीं निवेशक अपने इक्विटी पोर्टफोलियो को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं? मनी9 के साथ एक इंटरव्यू में जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट के एमडी एंड सीईओ सतीश रामनाथन ने उन रणनीतियों पर अपने विचार शेयर किये हैं जो निवेशकों के बहुत काम आ सकते है.

सवाल: क्या ये सही समय है जब निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो स्माल कैप से लार्ज कैप की साइड स्विच कर लेना चाहिए?

रामनाथन: लार्ज कैप में पूंजी की कम लागत, बड़ी मात्रा में नकदी प्रवाह के लिए नए व्यवसायों का निर्माण / अधिग्रहण या एक ही पंक्ति में बढ़ने के फायदे हैं. इसलिए, लार्ज कैप को एसेट एलोकेशन स्‍ट्रैटजी का एक अभिन्न अंग बनाना चाहिए. हालांकि, हम शॉर्ट टर्म टैक्टिकल स्ट्रैटेजी के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि मार्केट को टाइम करना बहुत मुश्किल है. भारतीय मिडकैप को भी विकास के मामले में आगे एक लंबा रनवे तय करना है. इसमें अभी नए व्यवसायों में प्रवेश कर सकते हैं जो बड़ी कंपनियों में रुचि नहीं रखते हैं. फैशन/खुदरा और निर्माण सामग्री में ऐसी कंपनियों के कई उदाहरण हैं. इसलिए हमारा मानना ​​है कि सेक्युलर ग्रोथ बिजनेस में मिड और लार्जकैप कंपनियों का डायवर्सिफाइड बास्केट एक उपयुक्त एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी होगी.

सवाल: भारतीय शेयर बाजार में अगर करेक्शन आता है तो ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए?

रामनाथन: एलोकेशन बढ़ाने के लिए करेक्शन एक अच्छा समय है. पिछले एक साल में हाई लिक्विडिटी के चलते वैश्विक इक्विटी बाजारों का अच्छा प्रदर्शन रहा है. भारतीय इक्विटी में कोर्रेशन आ सकता है यदि यह फेड टेंपर और इन्फ्लेशन के बने रहने या ब्याज दरों को बढ़ाने के कारण घटती है. अगर मौजूदा स्थिति को देखा जाये तो हम मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक अच्छी जगह पर है – अच्छे फॉरेक्स रिज़र्व, कंपनियां अपने कर्ज को कम कर रही हैं. जिससे एक अच्छी ग्रोथ आनी चाहिए. इसलिए हम निवेशकों को पोर्टफोलियो बढ़ाने की सलाह देंगे, अगर कोई करेक्शन होता है.

सवाल: भारतीय शेयर बाजार पर यूएस टेपर का क्या इम्पैक्ट पड़ सकता है?

रामनाथन: फेड टेंपर ग्लोबल लिक्विडिटी को कम कर सकता है और कॉस्ट ऑफ कैपिटल को बढ़ा सकता है. अभी तक इंटरेस्ट रेट्स बढ़ने की उम्मीद कम है. क्योंकि कैपेक्स अभी इतना बढ़ा नहीं है कि अतिरिक्त लिक्विडिटी को अब्‍जॉर्ब कर सके. कैपेक्स साइलेंट है क्योंकि कंपनियों ने अभी तक अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है क्योंकि कंपनियां अभी अपने कर्ज को कम करने में लगी हैं. इस समय घर की खरीदारी भी निचले स्तर पर है बस सरकार के द्वारा ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा हो रहा है. मुझे अभी भी कम लिक्विडिटी दिखाई दे रही है, जो यील्ड्स को बढ़ा रही है और इसलिए इक्विटी बाजारों में सेंटीमेंट को प्रभावित कर रही है.

सवाल: अगर FII इस समय शेयर बाजार से पैसे निकलना शुरू करते है तो हम किस प्रकार का फॉल एक्सपेक्ट कर सकते है?

रामनाथन: कभी FII हमारे शेयर बाजार में प्रमुख रोल निभाया करते थे, लेकिन अभी डोमेस्टिक रिटेल और इंस्टीटयूशनल इन्वेस्टर्स द्वारा ये काम हो रहा है. इसके साथ ही प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स का भी लार्ज इंफ्लो देखने को मिला है. इसलिए हम FII के शेयर बाजार से पैसे निकलने से उतने चिंतित नहीं हैं जितने पहले हुआ करते थे. इसके अलावा चाइना के कैपिटल मार्केट्स में हाल की घटनाओं ने भारत को और अधिक मजबूत बना दिया है. जिससे हमें रिअलोकशन बेनिफिट्स मिल सकते हैं.

सवाल: आपकी नज़र में कुछ ऐसे स्टॉक्स जिन्हें निवेशक डिप में बाई कर सकते हैं?

रामनाथन: हम किसी भी इंडिविजुअल स्टॉक्स का रेकमेंड नहीं करते हैं. हमारी स्टॉक चयन रणनीति सस्टेनेबल ग्रोथ पोटेंशियल के साथ हाई पोटेंशिअल ग्रोथ पर जोर देती है, जिसके परिणामस्वरूप फ्री कैश फ्लो बढ़ता है और इक्विटी पर अच्छा रिटर्न मिलता है.

सवाल: भारी तेजी के बावजूद आप मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को कैसे देखते हैं?

रामनाथन: पिछले एक साल में देखें तो इस सेगमेंट में कुछ ज्यादा ही तेज़ी आई हैं. ऐसे में थोड़ा बहुत और करेक्‍शन अभी देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही ये ऐसा सेगमेंट है जहां छोटे निवेशकों की सक्रिय भागीदारी देखी जाती है. जो वोलैटिलिटी को लेने की एपेटाइट नहीं रखते हैं जो खुद से एक शार्प मूवमेंट का कारण बनता है. ऐसे में इस सेगमेंट में और वोलेटिलिटी देखने को मिल सकती है, लेकिन हम इसका उपयोग अच्छे स्टॉक्स को खरीदने में करेंगे. जिससे की लॉन्ग टर्म के लिए एक अच्छा पोर्टफोलिओ तैयार किया जा सके.

सवाल: इक्विटी इंडेक्स के आल टाइम हाई पर आप निवेशकों को ऐसी कौन सी गलतियां न करने कि सलाह देना चाहेंगे?

रामनाथन: आमतौर पर निवेशक लोअर क्वालिटी वाले स्टॉक को बाजार के हाई के पास खरीदते हैं, जिसके कारण उन्हें काफी नुक्सान उठाना पड़ता है. हमारे अनुभव से इस प्रकार की टैंप्‍टेशन से बचना चाहिए क्योंकि जब मार्केट गिरता है तो उसके साथ सारे स्टॉक्स भी गिरते है, लेकिन अक्सर देखा गया है इस फॉल में ख़राब क्वालिटी बिज़नेस वाले स्टॉक्स ज्यादा गिरते हैं. इसीलिए रिटेल इन्वेस्टर्स को इस प्रकार की गलती करने से बचना चाहिए.

सवाल: आपको क्या लगता है कि इस समय कौन से सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं? कौन से ऐसे सेक्टर हो सकते हैं जहां गिरावट देखने को मिल सकती है?

रामनाथन: जीएसटी और कोविड -19 के बाद भारत कई वर्षों से सेल्फ रेस्‍टरेंट ग्रोथ ट्रजेक्‍टरी पर है. इस टाइम में सबसे ज्यादा प्रीमियमाइजेशन और बाजार असंगठित से संगठित हुए हैं. हालांकि कई सेक्टर अब्सोल्युट आधार पर नहीं बढ़े हैं. इसलिए हमें कंज्‍पशन और डिमांड में वृद्धि देखने को मिल सकती है. हालांकि कुछ सेक्टरों में लंबी अवधि के बाद कंसोलिडेशन आया है. ऐसे हमें त्योहारी सीजन शुरू होने का वेट करने की जरूरत है और ये भी उम्मीद करें कि कोविड की तीसरी लहर डिमांड को प्रभावित न करे.

Published - August 24, 2021, 01:20 IST