पैसिव इनवेस्टिंग में एक्टिव होने का वक्त!

कुल मिड-कैप फंड्स में से केवल आधे ही और लार्ज कैप फंड्स में से महज 11% ही गुजरे 10 वर्षों में इंडेक्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर पाए हैं.

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रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

ग्लोबल मार्केट्स गुरु जिम रोजर्स का कहना है कि इंडेक्स इनवेस्टिंग ने सक्रिय रूप से मैनेज किए गए पोर्टफोलियो के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है. आंकड़े उनकी बात को साबित करते हैं.

रिटर्न के मामले में 25 मार्च 2020 से 22 मार्च 2021 के बीच केवल 3.45 फीसदी सक्रिय रूप से मैनेज किए जाने वाले लार्ज कैप और कुल म्यूचुअल फंड्स में से 25% से भी कम अपनी इंडेक्स के मुकाबले अच्छा रिटर्न देने में सफल रहे.

स्मार्ट इनवेस्टर्स ये समझ रहे हैं. इंडेक्स फंड्स और ETF इंडेक्स स्कीम्स में AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) मार्च 2020 में 1,48,038 करोड़ रुपये पर थे जो कि मई 2021 में बढ़कर 3,07,886 करोड़ रुपये पर पहुंच गए. ये 108 फीसदी का जबरदस्त उछाल है.

हां, पिछला साल बिलकुल अलग साबित हुआ है क्योंकि महामारी ने मार्केट्स को बेहद उतार-चढ़ाव के दौर में धकेल दिया. लेकिन, लंबे वक्त के आंकड़े एक्टिव इनवेस्टर्स के पक्ष में खड़े नहीं दिखाई देते हैं.

मॉर्निंगस्टार इंडिया की 22 मार्च 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मिड-कैप फंड्स में से केवल आधे ही और लार्ज कैप फंड्स में से महज 11% ही गुजरे 10 वर्षों में इंडेक्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर पाए हैं.

पिछले साल मार्च में अपने निचले स्तर से निफ्टी50 में 1,112% का उछाल आया है. ऐसे में जिन इनवेस्टर्स ने मार्च 2020 में इंडेक्स फंड में पैसा लगाया होगा उनकी पूंजी 2.3 गुना बढ़ गई होगी. इसे ऐसे समझिए, अगर मार्च 2020 में आपने निफ्टी50 में 1 लाख रुपये लगाए होते तो ये रकम आज 2.3 लाख रुपये हो गई होती.

लेकिन, आंकड़े बता रहे हैं कि एक्टिव रूप से मैनेज किए गए 11 फीसदी ही फंड ऐसा रिजल्ट दे पाए हैं. बल्कि, हकीकत तो ये है कि 89% मामलों में इनवेस्टर्स की पूंजी आज 2.3 लाख रुपये से कम होगी.

ये ऐसे फंड मैनेजरों के लिए खराब आंकड़ा है जो कि बेहतरीन रिटर्न देने के वादे पर एक्सपेंस रेशियो वसूलते हैं.

सेबी का स्किन इन द गेम नियम भी सही वक्त पर आया है. इस नियम में फंड मैनेजरों की सैलरी का एक हिस्सा उनकी मैनेज की जाने वाली स्कीमों में जाता है.

रिटेल इनवेस्टर्स के लिए पैसिव इनवेस्टिंग अच्छे रिटर्न के साथ आसान और सस्ता विकल्प भी है. जब आप कोई इंडेक्स फंड लेते हैं तो आपकी यूनिट्स किसी इंडेक्स में सभी स्टॉक्स को शामिल करती हैं. इसमें कोई मानवीय दखल नहीं होता और ऐसे में इसका एक्सपेंस रेशियो भी कम होता है. साथ ही इसमें रिसर्च और एनालिसिस फीस भी नहीं देनी पड़ती है.

इंडेक्स फंड्स को ट्रैक करना भी आसान है और इनमें भारी-भरकम शब्दों के उलझाने वाले जाल भी नहीं होते हैं. रिटेल इनवेस्टर्स को सक्रिय तौर पर पैसिव इनवेस्टिंग पर विचार करना चाहिए. ये बढ़िया रिटर्न के साथ एक सस्ता विकल्प है.

Published - June 19, 2021, 09:06 IST