Equity MFs: भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने नेट एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ने पहली बार 35 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार किया. अप्रैल 2021 में अतिरिक्त 55 लाख फोलियो जुड़ने के साथ रीटेल स्कीम्स(retail schemes) के अंदर आने वाले फोलियो भी 8.72 करोड़ के ऑल टाइम हाई पर रहे. पिछले वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक केवल 18 लाख रीटेल फोलियो(retail folios) जोड़े गए थे. यानि सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) का योगदान 9,608.86 करोड़ रुपये के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया.
निवेश में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं
एएमएफआई(AMFI) के चीफ एक्जीक्यूटिव, एनएस वेंकटेश कहते हैं, “RBI का उदार रुख, आय में बढ़ोत्तरी, टीकाकरण के कारण कोविड महामारी में रोकथाम और ग्लोबल और डोमेस्टिक लिक्विडिटी (वैश्विक बाजार में कैश), इक्विटी बाजारों को ऐतिहासिक ऊंचाई पर ले जा रही है.
इस सबको देखते हुए रीटेल इंवेस्टर्स(Retail Investors) भी म्यूचुअल फंड एसआईपी(Mutual Fund SIPs) के जरिए इक्विटी में निवेश में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं “.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में पॉजिटिव इनफ्लो लगातार पांचवें महीने भी जारी है. एम्फी(Amfi) के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी-ओरियंटेड म्यूचुअल फंड(equity-oriented mutual fund) स्कीम्स ने जुलाई 2021 में 22,583.52 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी देखी.
ज्यादातर फ्लो फ्लेक्सी-कैप फंडों(flexi-cap funds) में आया, जिसमें 11,508.24 करोड़ रुपये का इनफ्लो देखा गया. इसके अलावा, थीमैटिक फंडों(thematic funds) में 5,728.54 रुपये का इनफ्लो पाया गया.
कविता कृष्णन, सीनियर एनालिस्ट – मैनेजर रिसर्च मॉर्निंगस्टार इंडिया(Research Morningstar India) कहती हैं, “इस समय के दौरान इनफ्लो की सबसे बड़ी दो वजह बनी हैं, एक है बाजार में उछाल और दूसरा एनएफओ की तरफ निवेशकों का लगातार बढ़ता रूझान”.
जब हाइब्रिड फंडों(hybrid funds) की बात आती है, तो बैलेंस्ड एडवांटेज्ड फंड(balanced advantaged fund), आर्बिट्रेज फंड(arbitrage fund) और इक्विटी हाइब्रिड फंड(equity hybrid fund) की वजह से इनफ्लो 19,481.07 रुपये रहा.
व्हाइट ओक कैपिटल (White Oak Capital) के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, आशीष सोमैया ने कहा, “ये जानकर खुशी हुई कि लंबे समय के बाद, हमने बैलेंस्ड एडवांटेज्ड(balanced advantage) और इक्विटी हाइब्रिड(equity hybrid) फंडों में 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नेट इनफ्लो देखा है, जो कि जोखिम से बचने वाले निवेशकों के नजरिए से बाजारों में इस समय एलोकेट करने के लिए सही कैटेगरी मानी जा रही है.
फाइनेंशियल एक्स्पर्ट आने वाले महीनों में सतर्क बने हुए हैं. सौरभ गुप्ता- फंड मैनेजर- इक्विटी, क्वांटम म्यूचुअल फंड(Quantum Mutual Fund) ने कहा, “बाजार छोटी कंपनियों में निवेश से जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज करना पसंद कर रहे हैं.
लेकिन अगर ग्लोबल लिक्विडी कम हो जाती है यानि बाजार में पैसे की कमी देखी जाती है या हम कोविड -19 की तीसरी लहर का सामना करते हैं तो ये स्थिति जल्दी ही उलट सकती है.
हम मिडकैप(midcap) और स्मॉल-कैप(small-cap ) स्पेस में सावधानी के साथ चलने के अपने रुख को दोहराना चाहते हैं, ” रीटेल इंवेस्टर्स को निवेश से ध्यान हटा कर और अपने इक्विटी एलोकेशन को डाइवर्सिफाई करना चाहिए.