वित्तीय बाजार में खासी हलचल है. बुधवार 22 सितंबर को अगर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने दुनियाभर के बाजार में धुकधुकी बढ़ा रखी थी, तो शुक्रवार 24 सितंबर को चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (People’s Bank of China – PBOC) ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के बाजार में खलबली मचा दी. अब आपका सवाल होगा कि इन दो घटनाओं का भारतीय निवेशकों के लिए क्या मतलब है?
पहले बात अमेरिकी केंद्रीय बैंक की. इसने साफ कर दिया कि अभी ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी. मतलब यह है कि फिलहाल उभरते देशों के शेयर बाजार से पैसा नहीं निकलेगा. चूंकि इन देशों में भारत विदेशी निवेशकों का सबसे ज्यादा चहेता माना जाता रहा है, तो जाहिर है कि अमेरिका में जारी किया गया बयान हजारों मील दूर भारत में खासा असर छोड़ेगा.
कुछ ऐसा ही हुआ और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सूचकांक सेंसेक्स 60 हजार के ऊपर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 17850 के पार रहा. निवेश की कीमत कई लाख रुपये बढ़ गई.
लेकिन शुक्रवार को चीन के केंद्रीय बैंक का बयान आने के बाद निवेशकों के खासे चहेते क्रिप्टोकरेंसी को झटका लगा. दरअसल, केंद्रीय बैंक ने साफ कर दिया है कि आभासी मुद्रा के लेन-देन पर पूरी तरह से गैर-कानूनी हैं. यहां तक कि जो विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंज चीन के घरेलू निवेशकों को आभासी मुद्रा को लेकर सेवाएं मुहैया कराते हैं, वह भी गैर कानूनी है. क्रिप्टो करेंसी की ‘माइनिंग’ पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई.
क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से लेकर ‘माइनिंग’ तक के मामले में चीन खासा बड़ा बाजार है. जाहिर है कि चीनी केंद्रीय बैंक का यह कदम क्रिप्टोकरेंसी के बाजार को प्रभावित करेगा. शुक्रवार को इसकी झलक भी मिल गई, जब बिटकॉइन में 7 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. दूसरे क्रिप्टोकरेंसी में भी घबराहट देखने को मिली. भारत में निवेशकों में सुगबुगहट होनी थी. वह हुई और नए सिरे से सवाल उठने लगा कि क्या यह बाजार सही है?
क्रिप्टोकरेंसी बाजार से जुड़े लोगों से बात करेंगे तो वह आपको कुछ खास असर नहीं पड़ने की बात कहेंगे. कुछ तो यहां तक कह रहे कि दुनिया भर में जब बिकवाली हावी हो तो भारत भले पीछे रह सकता है, लेकिन ऐसी स्थिति लंबे समय तक नहीं रहने वाली. कुछ यह भी सलाह दे रहे हैं कि मौजूदा माहौल में निवेश का मौका बन रहा है, पैसा लगा दीजिए.
पैसा लगाना आपका व्यक्तिगत फैसला हो सकता है और हो सकता है कि आप जोखिम उठाने को तैयार भी हो जाएं. फिर भी यह जरूरी है कि चीन से चली हवा के भारत में असर को समझिए. पहली बात तो यह कि भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा नहीं माना गया है. दूसरी बात यह कि भले ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसके लेन-देन पर पाबंदी नहीं है, फिर भी मौजूदा वित्तीय व्यवस्था क्रिप्टो के खरीद-फरोख्त में जरूरी मदद करने में बहुत सहज नहीं दिखते.
तीसरी और सबसे अहम बात, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी आपत्तियों को सार्वजनिक कर चुके हैं. कुछ ऐसी ही राय से सरकार को भी अवगत करा चुके हैं.
दूसरी ओर सरकार क्रिप्टोकेरंसी के नियम को लेकर कानून बनाने की तैयारी में है. वैसे तो बजट सत्र में नया विधेयक लाने का लिखित में ऐलान भी हो चुका था, लेकिन ऐसा हो न सका. फिर मॉनसून सत्र भी आया और चला गया. कहा गया कि यह बहुत ही संक्षिप्त सत्र था और कई विधायी मामले लंबित थे जिन्हें प्राथमिकता पर पूरा किया जाना था.
तो क्या शीतकालीन सत्र में यह विधेयक आएगा? अगर आएगा तो उसका स्वरूप क्या होगा?
अभी तक के संकेत यही बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी पर कानून भले ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल नहीं है, लेकिन एक बात तो काफी हद तक तय है कि प्राइवेट क्रिप्टोकेरंसी को सरकार मान्यता नहीं देगी. जब भी इस मुद्रा पर कानून का डंडा चलेगा, उसके पहले निवेशकों को कुछ समय दिया जाएगा, जिससे वे पैसा वापस निकाल सकें. दूसरी ओर, चीन की सख्ती के बाद आसार बन रहे हैं कि भारत में प्रस्तावित कानून पर चीनी कानून की छाप तो रहेगी ही.
अब देखिए क्रिप्टोकरेंसी का बाजार वैसे भी खासी अनिश्चितता में झूलता रहा है. प्रमुख देशों की सरकारें और केंद्रीय बैंक के कदम से परेशानी और बढ़ेगी. ऐसे में यहां अर्थशास्त्र का सिद्धांत नहीं चलेगा कि मुनाफा जोखिम का प्रतिफल है. इस बाजार में जोखिम की कोई सीमा ही नहीं. लिहाजा, लोगों को यह बाजार बुलाएगी, लेकिन जाने का नहीं.
अब आप पूछ सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में जिस तरह का जोखिम कई गुना बढ़ गया है, शेयर बाजार काफी महंगा हो चला है और बैंक जमा पर वास्तविक ब्याज काफी कम हो चला है तो फिर जाएं तो जाएं कहां? एक माध्यम है और वह है सोना. इसमें भी सोवरेन गोल्ड बॉन्ड का विकल्प बेहतर होगा, जिसमें भौतिक स्वरूप में सोना लिए बगैर उसकी कीमतों में आठ साल बाद आने वाले बदलाव का फायदा मिल सकता है. वहां जो भी मुनाफा होगा, उसपर आयकर भी नहीं देना होगा.
म्यूचुअल फंड और सरकारी बॉन्ड का विकल्प भी है. मत भूलिए कि पैसा आपका अपना है और पैसे से पैसा बनाने का रास्ता सोच-समझ कर चुनना चाहिए.