Broking Firms: भारत की ब्रोकिंग फर्मों ने सितंबर की तिमाही में रिकॉर्ड कमाई दर्ज की है. शेयर बाजार में लगातार मजबूती बने रहने से ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ना इसकी एक बड़ी वजह रही है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार टॉप लिस्टेड ब्रोकरेज और मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूट्स के जुलाई से सितंबर के रेवेन्यू में औसतन 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पिछले साल से इसकी तुलना की जाए तो इस साल सेम पीरियड में मुनाफे में भी 55 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है.
इन्हें हुआ मुनाफा
मोतीलाल ओसवाल के फाइनेंशियल सर्विसेज के कैपिटल सेगमेंट ने 608 करोड़ के साथ सितंबर में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसका साल दर साल मुनाफा भी 52 प्रतिशत बढ़ कर 121 करोड़ हो गया है.
मोतीलाल ओसवाल ने 48 प्रतिशत के राजस्व का योगदान दिया है. रिटेल इक्वालिटी, संस्थागत इक्विटी, एम्पलाई स्टॉक ऑप्शन प्लान और मार्जिन ट्रेड फंडिंग के बिजनेस वाली आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का मुनाफा भी 19 प्रतिशत (YoY) बढ़ कर 541 करोड़ रुपये हो गया है.
आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने सितंबर तिमाही के लिए राजस्व में 46 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 318 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ में 72.1 करोड़ रुपये के साथ 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. 30 सितंबर, 2021 को समाप्त तिमाही के लिए IIFL सिक्योरिटीज का ब्रोकिंग रेवेन्यू 232 प्रतिशत (YoY) बढ़कर 142.7 करोड़ रुपये हो गया.
क्यों हुआ फायदा?
ब्रोकरेज अधिकारियों के मुताबिक ट्रेडिंग वॉल्यूम में उछाल आने की वजह वो नए लोगों का समूह है जो पारंपरिक सेंटर्स से बाहर निकलकर इसे संचालित कर रहे हैं.
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के एमडी विजय चंडोक के अनुसार सितंबर तिमाही में 65 प्रतिशत नए कस्टमर में युवा, मिलेनियल्स और GenZ में आने वाले लोग शामिल हैं. टियर टू और उसके नीचे के शहरों के 84 प्रतिशत लोग भी अब नए ग्राहक बन चुके हैं.
कम ब्याज दरों और शेयर बाजार में तेजी ने पिछले एक साल में पहली बार निवेशकों को इक्विटी की ओर आकर्षित किया है. इस साल अब तक सेंसेक्स लगभग 26% चढ़ा है, जबकि पारंपरिक फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स से 5-6% की बढ़त हुई है.
ब्रोकर्स के मुताबिक साल 2020-21 में लागू हुए सख्त मार्जिन रेग्युलेशन्स ने भी गतिविधियों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया. इसके लिए वे देशभर से लोगों की बढ़ती भागीदारी को शुक्रिया भी अदा करते हैं.
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के सीईओ (रिटेल) संदीप भारद्वाज भी लोगों की भागीदारी बढ़ने के लिए नए मार्जिन नियमों को अहम मानते हैं.
उनका कहना है कि नए क्लाइंट बढ़ने और उनकी एक्टिविटीज बढ़ने से ब्रोकरेज का कारोबार प्रभावित नहीं हुआ. हालांकि नए मार्जिन नियमों के चलते इंट्राडे ट्रेडिंग जरूर कम हो गई है.
डिलेवरी बेस्ड ट्रेडिंग में भारी इजाफा देखा गया है क्योंकि नए ग्राहक जिसमें खासतौर से मिलेनियल्स शामिल हैं, उनके पास स्टॉक रखने की काफी क्षमता है.
लीवरेज्ड पोजीशन के कारण शेयर बाजार के रिस्क को कम करने के लिए रेगुलेटर ने दलालों द्वारा अपने व्यापारियों को इंट्राडे एक्सपोजर देने के ट्रेंड को खत्म कर दिया है. ब्रोकर्स को इस नए मानदंड के बाद से मार्केट में धीरे धीरे गिरावट आने की आशंका थी.