बॉन्ड यील्ड में वृद्धि से स्टॉक वैल्यूएशन पर पड़ सकता है दबाव, बाजार में तेजी की संभावना

Bond Yield in India: भारत में बॉन्ड यील्ड पिछले तीन महीनों में 16 बेसिस पॉइंट और साल दर साल 47 बेसिस पॉइंट ऊपर है

bond yield rise may put pressure on stock valuations, rally in markets

10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड शुक्रवार को 6.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ समाप्त हुआ, जो दिसंबर 2020 के अंत में 5.9 प्रतिशत था

10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड शुक्रवार को 6.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ समाप्त हुआ, जो दिसंबर 2020 के अंत में 5.9 प्रतिशत था

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में बॉन्ड यील्ड में लगातार वृद्धि से स्टॉक वैल्यूएशन और बाजार की तेजी पर असर पड़ने की संभावना है. मार्च 2020 के निचले स्तर के बाद बॉन्ड यील्ड में वापस उछाल आया है. अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पिछले 10 साल के उच्च स्तर 44 बेसिस पॉइंट (BPS) और चालू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से यह 75 बेसिस पॉइंट ऊपर है. भारत में बॉन्ड यील्ड पिछले तीन महीनों में 16 बीपीएस और साल दर साल 47 बेसिस पॉइंट ऊपर है. 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड शुक्रवार को 6.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ समाप्त हुआ, जो दिसंबर 2020 के अंत में 5.9 प्रतिशत था.

जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी ( JM Financial Institutional Equity ) के एमडी और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि महामारी के बाद इक्विटी में तेजी बॉन्ड यील्ड में तेज गिरावट के कारण आई, जिसने वैल्यूएशन को रिकॉर्ड उच्च स्तर पर ला दिया. धनंजय सिन्हा ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि अगले साल तक अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़कर 2.5 फीसदी हो जाएगी. पिछले 10 वर्षों में भारत में बॉन्ड यील्ड अमेरिका की तुलना में औसतन 530 बीपीएस अधिक रहा है.पिछले दशक में भारतीय इक्विटी बाजारों में अधिकांश लाभ शेयरों की री-रेटिंग या उच्च कॉर्पोरेट आय के बजाय उच्च मूल्यांकन से आया है.

बॉन्ड यील्ड में गिरावट से री-रेटिंग संचालित हुई

विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका और भारत दोनों में बॉन्ड यील्ड में लगातार गिरावट से री-रेटिंग संचालित हुई, जिससे निवेशकों के लिए बैंक एफडी और बॉन्ड जैसे फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में अपना पैसा लगाने के बजाय स्टॉक खरीदना अधिक लाभदायक हो गया. उदाहरण के लिए जनवरी 2013 की शुरुआत से बेंचमार्क सेंसेक्स 206 प्रतिशत ऊपर है, लेकिन केवल 26 प्रतिशत लाभ इस अवधि के दौरान सूचकांक कंपनियों की संयुक्त आय में वृद्धि से आया है. विश्लेषकों को वैश्विक मैक्रोइकनॉमिक्स स्थितियों में परिवर्तनों के कारण व्यापक बाजारों में 10 प्रतिशत तक की गिरावट की उम्मीद है. यहां मैक्रोइकनॉमिक्स इस बात को मापने की कोशिश करती है कि एक अर्थव्यवस्था कितने अच्छे से प्रदर्शन कर रही है. यह समझने की कोशिश करती है कि कौन से कारक आर्थिक वृद्धि के पीछे हैं.

क्या है बॉन्ड यील्ड का इक्विटी बाजार से कनेक्शन

अक्सर देखा गया है कि जब-जब बॉन्ड यील्ड में उछाल आता है इक्विटी बाजार में गिरावट आती है. शेयर बाजार में बड़ी गिरावट में बॉन्ड यील्ड का अहम योगदान होता है. कहा जाता है कि बॉन्ड यील्ड इकॉनामी की उच्च ब्याज दरों को दर्शाता है. उच्च ब्याज दरें कंपनियों द्वारा लिए गए लोन की कास्ट को पुश करती हैं व उनके लिए और ज्यादा पैसा उधार लेना कठिन बनाती हैं. इसका कंपनियों के मुनाफे और शेयरधारकों के रिटर्न पर असर पड़ता है. एक वजह यह भी है कि बॉन्ड यील्ड बढ़ने से निवेशक अपना पैसा इक्विटी बाजार से निकालकर बॉन्ड में शिफ्ट करना शुरु कर देते हैं.

Published - October 23, 2021, 04:07 IST