निवेशकों की नजर अमेरिकी बॉन्ड मार्केट पर, RBI के सिग्नलों का भी इंतजार

America Bond Market: निवेशकों को डर है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक घरेलू बाजार से बाहर निकल सकते हैं.

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जीरो कूपन बॉन्ड में कंपनी आपको कोई इंटरेस्ट नहीं देती है.

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America Bond Market: निवेशकों की 6-8 अक्टूबर के दौरान अमेरिकी बॉन्ड बाजार (America Bond Market) और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक पर कड़ी नजर है. ये आने वाले दिनों में बाजार को दिशा दे सकती है. पिछले हफ्ते बेंचमार्क सूचकांकों के लिए अप्रैल के बाद से यह उनका सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन था. बीएसई सेंसेक्स अपने उच्च स्तर से करीब 2% गिरकर 58,765.58 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 17,532.05 अंक पर बंद हुआ.

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के एसेट परचेज प्रोग्राम से तेजी से विड्रॉल के एक्सपेक्टेशन को बढ़ा दिया है.

निवेशकों को डर है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक घरेलू बाजार से बाहर निकल सकते हैं. इसके अलावा, ऐसी अटकलें हैं कि आरबीआई कोविड-19 महामारी के जवाब में घोषित प्रोत्साहन उपायों के रिवर्सल का संकेत दे सकता है.

क्या कहा पीयूष गर्ग ने?

ICICI सिक्योरिटीज के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर पीयूष गर्ग के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स में कहा गया है कि निवेशकों को अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि पर नजर रखने की जरूरत है जिससे करेक्शन की संभावना है.

उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं. कोटक म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने कहा कि बाजार अमेरिकी ब्याज दर मूवमेंट को ध्यान से देखेगा, जिसके बढ़ने से और करेक्शन हो सकता है.

तकनीकी और डेरिवेटिव विश्लेषकों को क्या है उम्मीद?

हालांकि, इसके उलट कई तकनीकी और डेरिवेटिव विश्लेषकों को उम्मीद है कि अक्टूबर में निफ्टी 18,000 तक पहुंच जाएगा. जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड-टेक्निकल और डेरिवेटिव रिसर्च राहुल शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि निफ्टी जब तक 17,400 के लेवल को सस्टेन करेगा यह 18,250 और 18,600 तक जा सकता है.

कोरिया, ताइवान और जापान को छोड़कर पिछले सप्ताह भारतीय इक्विटी बाजार ने अधिकांश क्षेत्रीय बाजारों से कमजोर प्रदर्शन किया.

सितंबर में, स्टॉक इंडेक्स में लगभग 3% की वृद्धि हुई और जापान को छोड़कर सभी क्षेत्रीय बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया. सितंबर तिमाही में, भारतीय बाजारों ने 12% की बढ़त के साथ अधिकांश वैश्विक बाजारों को पीछे छोड़ दिया.

RBI के सिग्नलों पर भी नजर

निवेशकों की इस सप्ताह आरबीआई के सिग्नलों पर भी नजर होगी कि क्या वह अपनी पॉलिसी को टाइट करने की योजना बना रहा है.

बार्कलेज ने कहा ‘हमें विश्वास है कि आरबीआई पॉलिसी नॉर्मलाइजिंग की दिशा में और कदम उठाएगा.’ कोटक के शाह ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति का नॉर्मलाइजेशन मल्टी स्टेप होगा. उन्होंने कहा, ‘पहले, यह रेपो और रिवर्स रेपो रेट कॉरिडोर को कम करेगा और फिर रेपो रेट बढ़ाएगा. क्या यह अगली मौद्रिक नीति से होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.’

Published - October 4, 2021, 06:27 IST