एयरलाइन सेक्टर पर झुनझुनवाला के दांव को स्मार्ट मूव की तरह देख रहे एक्सपर्ट्स

Airline: बाजार में सफल रही इंडिगो के साथ 14 सालों तक जुड़े रहे आदित्य घोष, आकाश के सह-संस्थापक के तौर पर झुनझुनवाला का साथ देने वाले हैं.

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विभिन्न ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि कंपनी के प्रमोटर बदलने से इस शेयर की रि-रेटिंग हो सकती है. जी के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस का मुद्दा अहम है. हालांकि, इसके डायरेक्टरों और प्रमोटरों को हटाए जाने से हालात में परिवर्तन आ सकता है. जी एक बड़ा ब्रांड है और इसका नेटवर्क भी बहुत बड़ा है, लेकिन प्रबंधन इसके लिए चिंता का सबब है.

विभिन्न ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि कंपनी के प्रमोटर बदलने से इस शेयर की रि-रेटिंग हो सकती है. जी के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस का मुद्दा अहम है. हालांकि, इसके डायरेक्टरों और प्रमोटरों को हटाए जाने से हालात में परिवर्तन आ सकता है. जी एक बड़ा ब्रांड है और इसका नेटवर्क भी बहुत बड़ा है, लेकिन प्रबंधन इसके लिए चिंता का सबब है.

Airline: देश के जाने माने निवेशक राकेश झुनझुनवाला एक नई एयरलाइन में साढ़े तीन करोड़ डॉलर (करीब 260 करोड़ रुपये) इनवेस्ट करने जा रहे हैं. झुनझुनवाला के फैसले को एक्सपर्ट्स एक स्मार्ट मूव की तरह देख रहे हैं. ‘आकाश’ नाम की इस एयरलाइन की फ्लीट में चार साल की अवधि में 70 विमान शामिल किए जाएंगे. सोचने की बात यह है कि जिस वक्त कोरोना महामारी के चलते एयरलाइंस की हालत खस्ता हो रखी है, सेक्टर की कंपनियां अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं, ऐसे में झुनझुनवाला का नया दांव कितना सही है?

इतने बड़े निवेशक के साथ किसी एयरलाइन का आना मौके को भुनाने जैसा

देश का एयरलाइन सेक्टर कर्जों से दबा है. वहीं, देश की सबसे बड़ी लो-कॉस्ट एयरलाइन इंडिगो को जून तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा घाटा हुआ है.

सालभर पहले के 2,844 करोड़ रुपये से भी बढ़कर यह 3,174 करोड़ रुपये पहुंच गया. इतने बुरे माहौल में झुनझुनवाला के फैसले को एक्सपर्ट्स एक स्मार्ट मूव की तरह देख रहे हैं.

उनका कहना है कि इतने बड़े निवेशक के साथ किसी एयरलाइन का आना इस मौके को भुनाने जैसा है.

झुनझुनवाला ने कहा है कि उनका लक्ष्य भारतीयों के लिए हवाई यात्रा को बेहद सस्ता करना है. आकाश एक अल्ट्रा-लो-कॉस्ट एयरलाइन होगी. देश में करीब 82 प्रतिशत घरेलू यात्राएं सस्ती एयरलाइंस के जरिए होती हैं.

आकाश इनके कारोबार के लिए चुनौती खड़ा करेगी. ग्राहकों में बने रहने के लिए अन्य कंपनियों को भी अपनी फ्लाइट्स के दाम घटाने पड़ सकते हैं, जो वह फिलहाल करने की हालत में नहीं हैं.

फिर सरकार की ओर से भी ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर को राहत नहीं मिल रही है. महामारी अगर और लंबे समय तक चली तो कर्ज में डूबी कंपनियां बंद हो सकती हैं.

इस मामले में आकाश के लिए मार्केट और खुलेगा. अपने वादे पर खरे उतरते हुए बड़े निवेशक के दम पर वह बाजार में दबदबा बना लेगी.

चुनौतियां

हालांकि आकर्षक दाम देने की अपनी कुछ चुनौतियां होंगी, जिनसे होकर कंपनी को गुजरना होगा. ग्राहकों को सस्ती सर्विज देने का मतलब होगा लागत पर लगाम कसते हुए चलना. लैंडिंग फीस और एयरपोर्ट के खर्चे इसके लिए भी उतने ही होंगे, जितने बाकी एयरलाइंस के होते हैं.

इस कारण लागत के मामले में कंपनी को बेहद सतर्कता से आगे बढ़ना होगा. झुनझुनवाला ने हाल में दिए इंटरव्यू में कहा था कि कंपनी में एक नए तरह का इंसेंटिव स्ट्रक्चर अपनाया जाएगा.

यह कुछ इस तरह होगा कि लागत को घटाने के आधार पर कर्मचारियों को इंसेंटिव दिए जाएंगे. कॉस्ट घटाने में सबके सहयोग के लिए उन्होंने यह योजना अपनाई है.

इसी के साथ भारतीय बाजार में सफल रही इंडिगो के साथ 14 सालों तक जुड़े रहे आदित्य घोष, आकाश के सह-संस्थापक के तौर पर झुनझुनवाला का साथ देने वाले हैं.

सस्ती एयरलाइन को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसमें उनका अनुभव कंपनी को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है.

Published - July 30, 2021, 05:15 IST