FPI के बाद, डोमेस्टिक ब्रोकर्स लॉबी ने T+1 सेटलमेंट पर जताई चिंता, सेबी को लिखा लेटर

ANMI ने सेबी के चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा कि इस कदम से ब्रोकर्स के लिए वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता बढ़ेगी और सिस्टम पर काम का बोझ बढ़ेगा.

these factors will guide markets next week

CAGR की इजाफा दर्ज करने की संभावना है. इसके साथ ही, हम उम्मीद करते हैं कि कंपनी लगातार उच्च आरओई के साथ लगातार मुफ्त कैश फ्लो पैदा होगा

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ओवरसीज इन्वेस्टर्स ग्रुप की ही तरह ब्रोकर्स लॉबी एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (ANMI) ने सेटलमेंट साइकिल को आधा करके T+1 करने के प्रस्ताव पर चिंता जताई है. ANMI ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी को लिखे पत्र में कहा कि इस कदम से ब्रोकर्स के लिए वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता बढ़ेगी और सिस्टम पर काम का बोझ बढ़ेगा.

फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर लॉबी ग्रुप ने भी जताई थी चिंता

पिछले महीने, एक फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) लॉबी ग्रुप, एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री एंड फाइनेंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (ASIFMA) ने बाजार नियामक और वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा था. इसमें सेटलमेंट साइकिल के आधे होने की स्थिति में FPI के लिए परिचालन कठिनाइयों (operational difficulties) पर प्रकाश डाला गया था. ASIFMA ने अपने पत्र में टाइम जोन डिफरेंस, फॉरेन एक्सचेंज चैलेंजेज और ट्रेडिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों को उठाया था. हांगकांग स्थित निकाय ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यह बड़े निवेशकों को डोमेस्टिक मार्केट में पोजीशन लेने से निराश कर सकता है.

क्या कहा ANMI ने?

ANMI ने उन मुद्दों पर प्रकाश डाला जिनका सामना घरेलू प्रतिभागियों को करना पड़ सकता है. ANMI ने कहा, ‘वर्तमान में, इंडियन बैंकिंग सिस्टम एक दिन में चेक को क्लीयर करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. दूरदराज के गांवों या कस्बों में रहने वाले ग्राहक अभी भी अपने बैंक खातों से फंड ट्रांसफर करने के लिए नेटबैंकिंग के बजाय चेक सुविधा का उपयोग करना पसंद करते हैं. ऐसे में ब्रोकर के वर्किंग कैपिटल की जरूरतें दोगुनी हो जाएगी. यह ब्रोकर होगा जिसे पे-इन और पे-आउट करने की आवश्यकता होगी.’

प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में बढ़ सकती है मुश्किल

ब्रोकर्स की बॉडी ने यह भी कहा कि तूफान या भारी बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण कनेक्टिविटी की समस्या हो सकती है. अभी मेंबरों के पास इस आपात स्थिति से निपटने के लिए समय है, लेकिन जब T+1 सेटलमेंट साइकिल लागू कर दिया जाएगा, तो इससे कठिनाइयां हो सकती हैं. पे-इन/पे-आउट टाइमलाइन को पूरा करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

बैंकों और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स पर बढ़ेगा काम का बोझ

इस कदम से बैंकों और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DPs) पर काम का बोझ भी बढ़ जाएगा, जो ट्रेडिंग इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ANMI ने कहा, ‘कैपिटल मार्केट वाले बैंकों और डीपी को अपने काम के घंटे बढ़ाने की आवश्यकता होगी, ताकि ग्राहक ‘टी’ डे पर ही फंड और सिक्योरिटीज को स्थानांतरित कर सकें. बहुत सारे ग्राहक हैं जिनका ट्रेडिंग अकाउंट और डीपी अकाउंट अलग-अलग बैंकों में है. ऐसे ग्राहकों को सिक्योरिटीज पे-इन के ट्रांसफर के लिए स्लिप से निर्देश देने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा.’

समस्याओं का समाधान करने के बाद करे लागू

ANMI ने अपने पत्र में सेबी से कहा था कि वह नए T+1 सेटलमेंट सिस्टम को लागू करने से पहले डोमेस्टिक पार्टिसिपेंट्स और एफपीआई दोनों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करें. ANMI ने कहा भारतीय बाजारों की सफलता के लिए FPI महत्वपूर्ण हैं. T+1 प्रपोजल FPI को हतोत्साहित करता है क्योंकि उन्हें ट्रेड डे पर ही पैसों की जरूरत होगी, जो अलग-अलग टाइम जोन के कारण संभव नहीं हो सकता है. ANMI ने बाजार नियामक से इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक संयुक्त समिति स्थापित करने का अनुरोध किया.

Published - September 15, 2021, 05:02 IST