Salary Overdraft: पैसों की जरूरत कब पड़ जाए, कहा नहीं जा सकता है. जान-पहचान वालों से भी पैसे मांगने पर अक्सर निराशा ही हाथ लगती है.
अगर नौकरीपेशा हैं, तो आपकी इस समस्या का समाधान भी आपके पास है. जी हां, बैंक अपने ग्राहकों को सैलरी ओवरड्राफ्ट (Salary Overdraft) की सुविधा देता है, इसके तहत आपको कुछ ही देर में पैसा मिल जाता है.
सैलरी ओवरड्राफ्ट एक तरह से लोन ही होता है. इसमें आप अपने अकाउंट बैलेंस से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं. यह सुविधा सरकारी और प्राइवेट, दोनों बैंक देते हैं लेकिन इसको लेकर नियम और शर्तें अलग-अलग होती हैं.
सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं. ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर यह सुविधा देते हैं.
कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के बदले भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं. इस सुविधा के तहत बैंक से आप अपनी जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा चुका सकते हैं.
यह ओवरड्राफ्ट प्री-अप्रूव्ड होता है और इसकी एक लिमिट होती है. लिमिट तक पैसा आप किसी भी वक्त मिनटों में निकाल सकते हैं.
ओवरड्रॉफ्ट सुविधा के लिए हर बैंक के अपने-अपने नियम होते हैं.
ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी के लिए प्रोसेस बैंक से दूसरे लोन लेने के जैसा ही है. अगर आपका बैंक में सैलरी या करेंट अकाउंट है तो प्रक्रिया थोड़ी आसान हो जाती है.
कई बैंक अपने अच्छे ग्राहकों को पहले से ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का ऑफर देते हैं. ऐसा होने पर फिर लोन लेना बहुत आसान हो जाता है. कुछ बैंक आपकी मंथली सैलरी का 2-3 गुना तक ओवरड्रॉफ्ट की सुविधा देते हैं.
वहीं कुछ बैंक एक महीने की सैलरी का 80-90 फीसद तक ही यह सुविधा देते हैं. कुछ बैंक के लिए ओवरड्राफ्ट कैप के नियम पर काम करते हैं.
इसकी मैक्सिमम लिमिट 4-5 लाख रुपए तक हो सकती है. कुछ बैंकों के लिए यह कैप 1-1.5 लाख रुपए तक होता है. कुछ बैंक आपकी मंथली सैलरी के आधार पर यह सुविधा देते हैं तो कुछ बैंक हर ग्राहक के लिए एक लिमिट तय करता है.
यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में गिरवी क्या रखा है. इसके अलावा सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं.
ओवरड्राफ्ट एक तरह से इंस्टेंट लोन की तरह ही है. इसके लिए आपको इंट्रेस्ट का भी भुगतान करना होता है. हालांकि सैलरी ओवरड्राफ्ट की सुविधा का इस्तेमाल करने से पहले कुछ और पहलुओं को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है.
अगर आप इस सुविधा का इस्तेमाल करते हैं तो प्रोसेसिंग फीस भी लगती है. इंट्रेस्ट रेट पर्सनल लोन के मुकाबले ज्यादा होता है. ओवरड्राफ्ट का रीपेमेंट ईएमआई की तरह नहीं होता है.
आप धीरे-धीरे इसे चुका सकते हैं और इंट्रेस्ट केवल उतने अमाउंट पर लगता है जितना आपने लाभ लिया है.