मुद्रा योजना: वित्त वर्ष 2021 में 21 फीसदी कम कर्ज बांटे गए

Mudra Yojana: अब तक स्कीम के तहत 15 लाख करोड़ रुपये तक के लोन बांटे जा चुके हैं जबकि 28.68 करोड़ को लोन दिया गया है.

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पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं.

पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं.

Mudra Yojana: छोटे उद्यमों और आंत्रेप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए लोन मुहैया कराने वाली मुद्रा योजना (माइक्रो यूनिट्स डेवलप्मेंट एंड रीफाइनेंस एजेंसी) के डिमांड में 21 फीसदी की तेज गिरावट आई है. मुद्रा की वेबसाइट पर जारी किए डाटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में 2.65 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बांटे गए हैं जो वित्त वर्ष 2019-20 में 3.37 लाख करोड़ था. वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में ये रकम 3.21 लाख करोड़ रुपये थी.

2015 में लॉन्च के बाद से अब तक वित्त वर्ष 2021 में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब बांटे गए कर्ज में गिरावट आई है. मुद्रा के तहत तीन कैटेगरी में कर्ज दिए जाते हैं. इसमें से सबसे छोटी कैटेगरी शिशु के तहत 50 हजार रुपये तक का लोन दिया जाता है.

किशोर कैटेगरी में 50,000 से 5 लाख रुपये तक का कर्ज मिलता है. जबकि तीसरी कैटेगरी तरण कहलाती है और इसमें 5 लाख से 10 लाख रुपये तक का कर्ज मिलता है. कर्ज लेने वाले को लोन के लिए कुछ भी गिरवी नहीं रखना होता, इस स्कीम पर सालाना ब्याज दर 8.2 फीसदी से 9.65 फीसदी के बीच होता है.

साल 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Mudra Yojana) की शुरुआत की गई थी. अब तक स्कीम के तहत 15 लाख करोड़ रुपये तक के लोन बांटे जा चुके हैं जबकि 28.68 करोड़ को लोन दिया गया है.

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि स्कीम (Mudra Yojana) के लाभार्थियों में 68 फीसदी महिलाएं हैं. लगभग 51 प्रतिशत कर्ज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिये गए हैं. तकरीबन 11 प्रतिशत लोन अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों को दिए गए हैं.

गोपनीयता की शर्त पर एक केंद्रीय कर्मचारी ने कहा कि वे डिस्बर्समेंट में आई गिरावट से चिंतित नहीं हैं. लॉकडाउन के मद्देनजर छोटे बिजनेस पर जिस तरह का असर पड़ा है, उसके मुताबिक पिछला साल बिल्कुल खराब नहीं था.

वहीं MCC चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के वाइस प्रेसिडेंट ऋषभ कोठारी के मुताबिक, “महामारी का असर कर्ज के आंकड़ों पर साफ दिख रहा है. पर हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक ग्रोथ लौटेगी और कर्ज बांटने में फिर तेजी आएगी.”

Published - April 8, 2021, 07:39 IST