कोरोना की दूसरी लहर के बीच कई लोगों ने नई कारें खरीदी हैं. अगर आप भी नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए आप लोन लेना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद काम की है. हम आपको एक ऐसा फॉर्मूला बताने जा रहे हैं जो आपके कर्ज (Loan) के बोझ को कम कर सकता है. ये फॉर्मूला है 20-10-4 का जो लोन (Loan) लेते समय याद रखना उपयोगी होता है. इसे कई पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर्स सुझाते हैं, लेकिन किसी भी अन्य नियम की तरह, यह जोखिम और मासिक आय के अनुसार अलग-अलग लोगों में भिन्न हो सकता है.
20-10-4 नियम के मुताबिक, किसी को कार की ऑन-रोड कीमत का 20% डाउन पेमेंट बुकिंग वाहन के रूप में प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए. लोन की अवधि अधिकतम 4 वर्षों के लिए होनी चाहिए. वहीं ईएमआई आपकी मासिक आय के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
मान लीजिए आपकी मासिक आय 1 लाख रुपये है. अगर आप एक नई कार खरीदने जा रहे हैं जिसकी ऑन-रोड कीमत 7 लाख रुपये है, तो आपको कम से कम 1.4 लाख रुपये डाउन पेमेंट के रूप में देना चाहिए और ईएमआई लगभग 10,000 रुपये होनी चाहिए.
ऐसे में आपको चार साल के लिए 5.6 लाख रुपये का लोन लेना होगा. मौजूदा समय में ज्यादातर वाहन लोन 7.5-8% तक की ब्याजदर पर मिल रहा है. आइए हम 8% की ब्याज दर पर विचार करें तब ईएमआई करीब 13,500 रुपये की बनेगी जो नियम के मुताबिक तय सीमा से 3,500 रुपये ज्यादा है.
ऐसे में या तो आपको ज्यादा डाउन पेमेंट करनी होगी या फिर कार की कीमत 7 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो आपको कुछ आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.
इसलिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि आपको ऐसी कार लेनी चाहिए जिसकी ऑन-रोड कीमत आपके वार्षिक सीटीसी से आधी हो. ऐसे में व्यक्ति को 6 लाख रुपये से कम कीमत वाली कार चुननी चाहिए.
नियम के मुताबिक, 6 लाख रुपये की कार के लिए 1.2 लाख रुपये डाउन पेमेंट करना होगा. वहीं लोन की राशि 4.8 लाख रुपये होगी. अब 4 साल के कार लोन के लिए ईएमआई 11,700 रुपये होगी जो पिछले उदाहरण की तुलना में अधिक सुविधाजनक है.
कार खरीदने का जोश अक्सर नियमों और सावधानी की परवाह नहीं करने के लिए उकसाता है. ऐसे में विशेषज्ञ दूसरे रास्ते सुझाते हैं. इसमें सबसे पहले 20% के बजाय 30-35% का डाउन पेमेंट करें जिससे ईएमआई का बोझ कम होगा.
दूसरा कि 5 साल की लोन अवधि के लिए जाएं, हालांकि यह वास्तव में लोन की राशि में वृद्धि करेगा. लेकिन ईएमआई का बोझ कम होगा.
तीसरा, लोन की पेंडेंसी के दौरान अगर आपको कुछ अतिरिक्त पैसा मिलता है, तो बस बैंक को भुगतान करें और ईएमआई कम करें, या कार्यकाल को कम करें.
कोलकाता स्थित सीएफए अरविंद अग्रवाल के मुताबिक, ये फॉर्मूले एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं. हालांकि ये एक थंब रूल है ऐसे में इसका पालन किया जा सकता है.