कोरोना के मुश्किल वक्त में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य के किसानों को लोन राशि चुकाने में राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. किसानों के खेती के लिए उठाए गए कर्ज को चुकाने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ा दी गई है.
यही नहीं, किसानों पर लगने वाला 7 फीसदी ब्याज भी राज्य सरकार खुद ही वहन करेगी. दरअसल, कोऑपरेटिव बेंकों से किसान फसल के लिए जो लोन लेते हैं उस पर 7 फीसदी ब्याज लगता है जिसमें 4 फीसदी केंद्र सरकार और 3 फीसदी का भुगतान राज्य सरकार करती है.
खजाने पर पड़ेगा 16 करोड़ का बोझ
राज्य सरकार के इस फैसले से राज्य की तिजोरी पर अतिरिक्त 16.30 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.
राज्य के कृषि कल्याण विभाग की सूची में आगे कहा गया है कि नाबार्ड की क्रेडिट नीति के अनुसार, राज्य में किसानों को 7 फीसदी की दर से अल्पकालिक फसली ऋण प्रदान किए जाते हैं, जिसमें समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को 3 फीसदी ब्याज राहत भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाती है.
जबकि, गुजरात सरकार द्वारा 4% ब्याज राहत दी जाती है. परिणामस्वरूप, गुजरात में ऐसे किसानों को शून्य फीसदी ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध होता है.
कोरोना के चलते कर्ज नहीं चुका पा रहे किसान
कोविड-19 की दूसरी लहर मार्च 2021 से शुरू हुई है. कोरोना संक्रमण अप्रैल में पीक पर था. मई में कोविड के मामलों में मामूली गिरावट है.
कोरोना की वजह से किसान 31 मार्च, 2021 तक कर्ज नहीं चुका पाए हैं. इन परिस्थितियों में, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक सहकारी कर्ज योजना के माध्यम से फसली कर्ज लेने वाले किसानों द्वारा फसली कर्जों की पुनर्भुगतान अवधि को 30 जून 2021 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है.
इस निर्णय के अनुसार, कोऑपरेटिव क्रेडिट स्ट्रक्चर के माध्यम से जिन किसानों ने दिनांक 01-04-2020 से 30-09-2020 के बीच फसल लोन लिया है उनको अब लोन रीपेमेंट के लिए 30-06-2021 तक का समय मिलेगा.
इसके अलावा, 01-04-2021 से 20-06-2021 तक जमा या जमा की जाने वाली राशि 30-06-2021 तक या किसानों द्वारा फसल ऋण के भुगतान की तिथि, इनमें से जो भी पहले हो, उस दिनांक तक लोन की अदायगी करता है उसे भारत सरकार से प्राप्त 3% ब्याज राहत और राज्य सरकार से प्राप्त 4% ब्याज राहत की राशि राज्य सरकार करेगी.