भारत में अभी भी इंजीनियर बनना सबसे बड़ा सपना है. इसलिए सबसे ज्यादा एजुकेशन लोन (Education loan) भी इंजीनियरिंग के कोर्स के लिए लिया गया. 5 से 10 लाख रुपए में चार साल का कोर्स पूरा करने के लिए उधार लेना भी मंजूर है. लेकिन, क्या ये उधार वापस हो रहे हैं? अप्रैल से दिसंबर 2020 अंत तक एजुकेशन लोन का बकाया 84,965 करोड़ रुपए था, जिसमें 9.7% कर्ज फंस चुका है यानि इनकी गिनती NPA (Non performing asset) में हो रही है. स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक, एजुकेशन लोन (Education loan) का 9.7% यानि 8,263 करोड़ रुपए वापस नहीं आ सकता है. एजुकेशन लोन (Education loan) नहीं चुकाने में नर्सिंग और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सबसे ज्यादा हैं.
कितना बकाया है लोन?
कोर्स | लोन अमाउंट | NPA |
इंजीनियरिंग | 33,316 करोड़ रुपए | 12.10% |
नर्सिंग | 3,675 करोड़ रुपए | 14.10% |
MBA | 9541 करोड़ रुपए | 7.20% |
मेडिकल | 10,147 करोड़ रुपए | 6.20% |
अन्य | 28,286 करोड़ रुपए | 8.40% |
कुल | 84.965 करोड़ रुपए | 9.7% |
एजुकेशन लोन NPA के मामलों में पूर्वी और दक्षिण भारत का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. पूर्वी भारत में 14.2% NPA तो वहीं दक्षिणी राज्यों में ये 11.9 % रहा. उत्तरी राज्यों में 3.3% NPA रहा और पश्चिमी भारत 3.9% लोन वापस नहीं किए गए. इंडस्ट्री और कृषि के बाद शिक्षा वो क्षेत्र हैं जहां कर्ज नहीं लौटते हैं. होम लोन और ऑटो लोन जैसे सीधे कंज्यूमर से जुड़े श्रेणी में NPA का हिस्सा दो फीसदी कम रहा, लेकिन एजुकेशन में ये बढ़ा है. इंडियन बैंक एसोसिएशन के पिछले आंकड़े बताते हैं कि 2016 में एजुकेशन लोन में 7.29% NPA रहा, 2018 में ये 8.1% रहा और 2019 में 8.3% पर रहा. स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के आंकड़े बता रहें हैं कि केवल अप्रैल-दिसंबर 2020 के नौ महीने में ये आंकड़ा 9.7% पर है.
क्यों नहीं लौट रहें हैं लोन ?
नौकरियों की प्लेसमेंट करने वाली कंपनी ग्लोबलहंट के MD Sunil Goel के मुताबिक, एजुकेशन लोन (Education loan) में हर साल NPA 1-2% से बढ़ते रहे हैं. इसमें कोरोना को सारा दोष नहीं दिया जाना चाहिए. पढाई का खर्चा और मिलने वाली नौकरी की सैलरी के बीच भी मिसमैच है. एजुकेशन लोन को फाइनेंशियली इंक्लूसिव बनाने की जरूरत है, जिसमें ये केवल लोन लेने और देने वाले नहीं हो बल्कि शिक्षा संस्थान जो कोर्स करवा रहे है या वो संस्थान जो नौकरी दे रहे हैं, इन्हें भी लोन लौटाने की प्रक्रिया से जोड़ना जरूरी है.
Voice Of Banking के फाउंडर और पूर्व बैंकर अश्विनी राणा बताते हैं कि एजुकेशन लोन की रिकवरी बैंकों के लिए सिरदर्द रही है. क्योंकि 7.5 लाख रुपए से नीचे के लोन में कोलैटर्ल नहीं देना होता. ऐसे में लोन के जरिए कोर्स पूरा करने के बाद लोन देने में रूचि नहीं दिखाते. और नौकरी नहीं मिलने या माली हालत के वजह से नहीं चुका रहें हैं तो बात अलग है लेकिन अनसिक्योर लोन लेकर रफा-दफा होने वाले भी बहुत हैं. अनसिक्योर्ड लोन में कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती है. अश्विनी राणा कहते हैं कि अगर छात्रों के पास सर्टिफिकेट में इस बात को लिखा जाने लगे कि उन्हें अभी एजुकेशन लोन वापस करना है तो इस तरह से लोन वापस नहीं करने वालों पर रोक लग सकती है.
नौकरियों की कमी, सैलरी कट और अर्थव्यवस्था की धीमी चाल के बीच लोन वापस नहीं करने वालों की तादाद बढ़ी है, लेकिन केवल पैंडेमिक ही वजह से नहीं. एजुकेशन लोन जिस तरह से दिया जाता है और शुरुआती नौकरियों की सैलरी के बीच का अंतर एक बड़ी वजह है कि लोग इसे चुकाने में असमर्थ होते हैं और NPA बन जाते हैं.