देश में ग्राहकों द्वारा लिया जाने वाला अनसिक्योर्ड लोन लगातार बढ़ रहा है. बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी के साथ, डिजिटल लोन का बाजार भी बढ़ रहा है. इस वजह से जहां बैंक बढ़ते अनसिक्योर्ड लोन के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) खासकर फिनटेक कंपनियों को जिम्मेदार बता रहे हैं, ताजा आंकड़ों के मुताबिक खुद बैंक अनसिक्योर्ड लोन के अंबार पर बैठे हैं, इसमें भी संकटग्रस्ट अनसिक्योर्ड लोन का आंकड़ा बढ़ रहा है. संकटग्रस्ट अनसिक्योर्ड लोन यानी स्पेशल मेंशन अकाउंट (SMA) वर्ग में दर्ज अनसिक्योर्ड लोन इस समय 93,240 करोड़ रुपए है. इस वर्ग में वे लोन आते हैं जिनकी रिपेमेंट नहीं की गई है या जिनके भुगतान में दिक्कत आ रही है और इसका नुकसान बैंकों को उठाना पड़ सकता है.
कितना बड़ा है ये आंकड़ा
स्पेशल मेंशन अकाउंट में दर्ज लोन बैंकों बैंकों के कुल बकाया अनसिक्योर्ड लोन का करीब 7% हिस्सा है. बैंकों द्वारा दिया गया कुल बकाया अनसिक्योर्ड लोन 13.32 लाख करोड़ रुपए है.
क्या होता है अनसिक्योर्ड लोन?
जब कोई लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, तो उसे अनसिक्योर्ड लोन कहा जाता है. इस तरह के लोन में ग्राहक से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं लिया जाता है. ये लोन ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर के आधार पर दिए जाते हैं. इसमें ग्राहक की पिछले लोन की रिपेमेंट हिस्ट्री, आय के स्रोत, पिछली सैलरी स्लिप या आईटीआर यानी इनकम टैक्स रिटर्न जैसे चीजें देखी जाती है और इनके आधार पर ही लोन मंजूर किया जाता है. ग्राहक को इसमें नुकसान ये होता है कि सिक्योर्ड लोन की तुलना में उसे ज्यादा इंटरेस्ट देना होता है. साथ ही रिपेमेंट टेन्योर यानी वो अवधि जिसमें लोन चुकाना होता है, वो कम होती है.
अनसिक्योर्ड लोन के उदाहरण
पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, इन्सटेंट लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और बिजनेस लोन अनसेक्योर्ड लोन की श्रेणी में आते हैं.