गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां ने अपने पोर्टफोलियो में असुरक्षित कर्ज का हिस्सा बढ़ा दिया है. NBFCs ऐसा उच्च उधारी लागत के प्रभाव को दूर करने के लिए कर रही हैं. इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक 12 बड़े एनबीएफसी में वित्त वर्ष 2013 में प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति में असुरक्षित कर्ज की हिस्सेदारी बढ़कर 30 फीसद हो गई है. वित्त वर्ष 2012 में यह हिस्सेदारी 26 फीसद और वित्त वर्ष 2011 में 23 फीसद थी. इसकी तुलना में, इन एनबीएफसी का कुल एयूएम वित्त वर्ष 2013 के दौरान सालाना 19% बढ़ा, जो वित्त वर्ष 2012 में 9.6 फीसद और वित्त वर्ष 2011 में 3.3 फीसद था.
इंडिया रेटिंग्स ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि असुरक्षित ऋणों में छोटे बिजनेस लोन, पर्सनल लोन और व्यक्तिगत कर्ज जैसे कर्ज शामिल हैं. महामारी के दौरान निष्क्रिय पेंट अप डिमांड ने उच्च ब्याज दरों की के बावजूद, एनबीएफसी के पोर्टफोलियो में मजबूत किया. हालाँकि, दिलचस्प बात यह है कि एनबीएफसी ने यील्ड बढ़ाने वाले, नए क्षेत्रों में कदम रखा है. इसके अलावा, जिन संस्थाओं के पास पहले से ही ज्यादा यील्ड देने वाले सेगमेंट थे, उन्होंने पोर्टफोलियो के उस हिस्से पर अपना ध्यान फिर से केंद्रित कर दिया है.
बैंकों में भी बढ़ा असुरक्षित कर्ज
एनबीएफसी की असुरक्षित कर्ज में ऐसे समय पर बढ़ोतरी हुई है जब बैंकिंग प्रणाली का समग्र खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में जून 2023 के अंत में साल दर साल पर 20.9 फीसद की वृद्धि देखी गई, जबकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान यह 18.1 फीसद थी. इसके तहत कंज्यूमर ड्यूरेबल् जैसे पर्सनल लोन में जुलाई के अंत में 17.2 फीसद की वृद्धि देखी गई और क्रेडिट कार्ड बकाया में 36 फीसद की वृद्धि देखी गई.
बैंकों को किया आगाह
पर्सनल लोन में उछाल के कारण वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों के असुरक्षित ऋण पोर्टफोलियो में भी दोहरे अंक में वृद्धि हुई. एचडीएफसी बैंक के पर्सनल लोन में 19.5 फीसद, आईसीआईसीआई बैंक में 38.6 फीसद, यस बैंक में 32 फीसद और एक्सिस बैंक में 21 फीसद की वृद्धि हुई थी. भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को असुरक्षित कर्ज बांटने पर आगाह किया था, हालांकि बैंकरों का कहना है कि यह उनके खराब अंडरराइटिंग मानकों को नहीं दिखाता है है. 14 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में कुल कर्ज वृद्धि सालाना आधार पर 20.2 फीसद बढ़कर 147.6 ट्रिलियन रुपए रही, जबकि जून के अंत में साल दर साल 16.2 फीसद थी.