असुरक्षित ऋण को लेकर आरबीआई काफी सख्त है. बैंकिंग नियामक ने ऐसे क्षेत्रों के लिए जोखिम भार को अनिवार्य कर दिया है. इसके बाद ही देश के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक एसबीआई ने असुरक्षित ऋण जैसे व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज दरों में वृद्धि का निर्णय लिया है. इससे ये लोन महंगे हो जाएंगे. इस बारे में एसबीआई अध्यक्ष दिनेश खारा का कहना है कि अगर फंड लागत बढ़ रही है तो ऐसे में ब्याज दरों में इजाफा करना जरूरी है. असुरक्षित ऋण के लिए जोखिम भार में वृद्धि से एसबीआई के शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) पर 2-3 बेसिस प्वाइंट का असर पड़ेगा.
बता दें पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋणों के लिए जोखिम भार 100 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया. इसके अलावा एनबीएफसी को दिए जाने वाले बैंक ऋण पर जोखिम भार में भी 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि की गई है. ये मानदंड नए और बकाया दोनों ऋणों पर लागू हैं.
एसबीआई अध्यक्ष ने कहा कि हमारा सकल एनपीए 0.7 फीसदी है, जो कुल खुदरा उधारी खाते का है, इसमें असुरक्षित क्षेत्र शामिल है. यह हमारे ड्यू डिलिजेंस और नियंत्रण की व्यवस्था को दर्शाता है. बता दें घरेलू ऑपरेशन्स के लिए एसबीआई का एनआईएम Q2FY24 में 12 बेसिस प्वाइंट कम होकर 3.43 प्रतिशत हो गया, जो Q2FY23 में 3.55 प्रतिशत था. वहीं Q1FY24 में NIM 3.47 प्रतिशत से भी ज्यादा गिर गया.
आरबीएल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आर सुब्रमण्यकुमार ने कहा कि ऋणदाता के पास पर्याप्त पूंजी है, लेकिन नए मानदंड क्रेडिट कार्ड व्यवसाय को प्रभावित करेंगे. आरबीएल बैंक का सीईटी1 [कॉमन इक्विटी टियर-1] 15.15 प्रतिशत पर है और बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है. आरबीएल ने पूंजी-जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात 17.07 प्रतिशत दिया है इसका असर क्रेडिट कार्ड कारोबार पर पड़ेगा. साथ ही पूरे व्यवसाय पर प्रभाव 60 बीपीएस का होगा. सुब्रमण्यकुमार ने यह भी कहा कि कड़े मानदंडों के बावजूद बैंक वार्षिक योजना में उल्लिखित विकास दर हासिल करने में सक्षम होगा.