देश के सबसे बड़े बैंक SBI को निकट भविष्य में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद नहीं है. SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने बुधवार को उद्योग संगठन CII के कार्यक्रम में इस तरह के संकेत दिए हैं. कार्यक्रम में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि अगस्त के दौरान रिजर्व बैंक की तरफ से पॉलिसी दरों में किसी तरह की कटौती की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछली 2 बैठकों की तरह अगस्त की बैठक के बाद भी रिजर्व बैंक की तरफ से पॉलिसी दरों में बदलाव की संभावना नहीं है. रिजर्व बैंक अगर पॉलिसी दरों को नहीं घटाता तो बैंक की तरफ से कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कम है. हालांकि जमा पर ब्याज दर घटने की आशंका भी कम होगी. पॉलिसी दरों पर रिजर्व बैंक की बैठक 8-10 अगस्त को है.
महंगाई को घटाने के लिए रिजर्व बैंक पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी कर चुका है. इसके बाद जब महंगाई में कमी आई तो इस साल अप्रैल और जून की पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. फिलहाल रेपो रेट 6.5 फीसद पर स्थिर है. लेकिन अनाज, दलहन और सब्जियों की महंगाई बढ़ने की वजह से रिटेल महंगाई दर फिर से बढ़ने की आशंका है. जिस वजह से संभावना बढ़ गई है कि रिजर्व बैंक अगस्त की बैठक में पॉलिसी दरों में बदलाव नहीं करेगा. जून के दौरान रिटेल महंगाई दर बढ़कर 4.81 फीसद पहुंच गई है.
रिजर्व बैंक ने भी हाल में बढ़ती खाद्य महंगाई को लेकर चिंता बताई है और कहा है कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई लंबी चल सकती है. उधर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चीफ ने भी चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर महंगाई फिर से चुनौती बन सकती है. IMF चीफ ने G-20 की बैठक में कहा है कि दुनियाभर में महंगाई के खिलाफ लड़ाई में पॉलिसी दरों को और सख्त करना होगा. ब्लैक सी ग्रेन डील से रूस के बाहर होने के बाद दुनियाभर में खाद्य महंगाई फिर से भड़ने की आशंका जताई जा रही है. IMF चीफ के बयान से भी इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं कि दुनिया के कई केंद्रीय बैंक पॉलिसी दरों को सख्त कर सकते हैं. अगले हफ्ते अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेगा. अमेरिका में अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो भारत सहित दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों पर भी कर्ज महंगा करने का दबाव बढ़ेगा.