बिना गारंटी बंटा कर्ज, बैंकों के लिए बढ़ा रहा मुश्किल!

भारतीय बैंकों में असुरक्षित खुदरा ऋण के खराब होने का जोखिम बढ़ रहा है : UBS

Indian Banks NPA

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भारतीय बैंकों के ऊपर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है. वैश्विक वित्‍तीय कंपनी UBS ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर चिंता जताई है. UBS ने कहा है कि भारतीयों बैंकों के असुरक्षित खुदरा ऋणों के तनावग्रस्‍त (NPA) होने का जोखिम बढ़ रहा है. UBS का कहना है कि पहले से ही भारी कर्ज के बोझ से दबे लोग अधिक मात्रा में और ऋण ले रहे हैं. इससे बैंकों का NPA (नॉन-परफॉर्मिंग असेट) बढ़ने का खतरा भी बढ़ रहा है.

हाल के महीनों में, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था, भारत में बैंकों ने अपने असुरक्षित ऋण पोर्टफोलियो का काफी विस्‍तार किया है. महामारी से उत्‍पन्‍न तनाव कम होने के बाद लोग अधिक खर्च कर रहे हैं. इसलिए बैंक उनकी बढ़ती ऋण मांग को पूरा करने के लिए खुले हाथों से पूंजी उपलब्‍ध करवा रहे हैं.

UBS का कहना है कि जून, 2023 तक SBI के कुल ऋण में असुरक्षित ऋण की हिस्‍सेदारी 11.1 फीसदी है. वहीं एक्सिस बैंक के कुल ऋण में असुरक्षित ऋण का हिस्‍सा 10.7 फीसदी है. भारतीय रिजर्व बैंक भी असुरक्षित खुदरा ऋण क्षेत्र पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि खुदरा ऋण क्षेत्र में तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं इसलिए इस क्षेत्र की बारीकी से निगरानी की जा रही है.

UBS ने बैंकिंग सेक्‍टर पर अपनी रेटिंग को न्‍यूट्रल कर दिया है. UBS ने बढ़ते असुरक्षित ऋण को लेकर बैंकों पर RBI द्वारा अधिक सख्‍ती करने की संभावना जताई है. UBS ने एक अध्‍ययन के आधार पर कहा कि रिटेल लोन में कमजोर जोखिम प्रोफाइल वाले ग्राहकों की हिस्‍सेदारी बढ़ी है, जो एक चिंता की बात है.

RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 25 अगस्‍त तक क्रेडिट कार्ड पर बैंकों का बकाया सालाना आधार पर बढ़कर 2.18 लाख करोड़ रुपए हो गया है. एक साल पहले समान अवधि में बकाया राशि का आंकड़ा 1.68 लाख करोड़ रुपए था. इसी अवधि में पर्सनल लोन की बकाया राशि में 26 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

UBS ने कह कि वित्‍त वर्ष 2022-23 में नए ऋण लेने वालों में बकाया ऋण वाले ग्राहकों की हिस्‍सेदारी बढ़कर 23 फीसदी हो गई, जो वित्‍त वर्ष 2018-19 में 12 फीसदी थी. इसी तरह एक से ज्‍यादा खुदरा ऋण लेने वाले लोगों की संख्‍या वित्‍त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 9.3 फीसदी हो गई, जो वित्‍त वर्ष 2017-18 में 3.9 फीसदी थी.

UBS ने चालू वित्‍त वर्ष के लिए अपने कवरेज के तहत भारतीय बैंकों के लिए क्रेडिट लागत पूर्वानुमान को 5-10 आधार अंत तक बढ़ा दिया है. ब्रोकरेज फर्म ने बढ़ती ऋण लागत के कारण भारतीय स्‍टेट बैंक और एक्सिस बैंक की रेटिंग को खरीद (buy) से घटाकर क्रमश: बेचना (sell) और तटस्‍थ (neutral) कर दिया है. UBS ने SBI के लिए मूल्‍य लक्ष्‍य को 740 रुपए से घटाकर 530 रुपए और एक्सिस बैंक के लिए 1150 रुपए से घटाकर 1100 रुपए कर दिया है.

Published - October 13, 2023, 02:10 IST