भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक अंतिम उपयोगकर्ता के अपरिभाषित होने की स्थिति में ऋणदाताओं के उपभोग ऋण या असुरक्षित ऋण में ‘कटौती’ करने के पक्ष में है. वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कुछ सप्ताह पहले असुरक्षित ऋण पर जोखिम भार बढ़ाने के आरबीआई के फैसले के संदर्भ में स्वामीनाथन ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक का इरादा ऋण देने से इनकार करना या इसे सीमित करना नहीं है.
स्वामीनाथन ने कहा कि हम उधार देने वाली संस्थाओं से अतिरिक्त जोखिम भारांक के जरिये ऐसे उपभोग-आधारित खंड या असुरक्षित कर्जों में कटौती की अपेक्षा करते हैं, जिनका कोई परिभाषित अंतिम उपयोग नहीं है. डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि असुरक्षित ऋण के लिए जोखिम भार बढ़ाने का कदम कुछ क्षेत्रों में वृद्धि को रोकने या ऋण वृद्धि को मध्यम करने के लिए एक विवेकपूर्ण कदम है.
बता दें कि रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर सात फीसद कर दिया है, जो पहले 6.5 फीसद था. चालू वित्त वर्ष में जून और सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 फीसद और 7.6 फीसद रही. इस तरह पहली छमाही में वृद्धि दर 7.7 फीसद रही.