लोन नहीं चुका पा रहे लोग
नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस यानी NACH की रिपोर्ट बताती है कि इसी साल फरवरी के मुकाबले मार्च में ऑटो डेबिट बाउंस रेट 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ गया है.
क्या एक दफा फिर से लोगों के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल हो रहा है? क्या आम लोगों के सामने अपने घर चलाने की मुश्किलें पैदा हो रही हैं? क्या बैंकों के बांटे गए कर्जों में डिफॉल्ट का खतरा मंडराने लगा है?
कोविड का दौर गुजरने के बाद ये सवाल पहली दफा फिर से पैदा होते दिख रहे हैं? लेकिन, आप पूछेंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं.
कार और होम लोन चुकाने में आ रही मुश्किलें
वजह कुछ आंकड़े हैं…दरअसल, गुजरे महीने यानी मार्च के आंकड़े बता रहे हैं कि लोग अपने कर्ज और मोटे तौर पर कहा जाए तो कार और होम लोन चुकाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. इसका पता ऑटो-डेबिट के बढ़ते बाउंस रेट से चल रहा है. ऑटो डेबिट यानी जहां पर आपके लिए गए कर्ज की EMI आपके खाते से अपने आप कट जाती है. तो बाउंस होने का आखिर क्या चक्कर है.
इस वजह से बाउंस हो रहा लोन
बाउंस होने का मतलब ये है कि आपके खाते से EMI कटने की एक तय तारीख पर जब ऑटो डेबिट एग्जिक्यूट हुआ तो आपके खाते में पैसा नहीं था और इस तरह से EMI कट नहीं पाई. अब जरा सोचिए कि ऐसा क्यों हो रहा होगा? जाहिर है किसी के खाते में जब पैसा नहीं होगा तभी उसकी EMI तय तारीख पर नहीं कट पाएगी यानी लोगों के खाते में कर्ज चुकाने लायक पैसा नहीं बच पा रहा है.
तो क्या लोगों की कर्ज चुकाने की हैसियत कम हो रही है. क्या बढ़ती महंगाई ने लोगों के घरों के बजट को इस कदर बिगाड़ दिया है कि वे अपने कर्जों को भी नहीं चुका पा रहे हैं? इस सवाल पर लौटने से पहले जरा आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं.
नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस यानी NACH की रिपोर्ट बताती है कि इसी साल फरवरी के मुकाबले मार्च में ऑटो डेबिट बाउंस रेट 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ गया है. 40 बेसिस पॉइंट यानी तकरीबन आधा फीसदी..
साल 2018-19 यानी कोविड से पहले की तुलना में लोन डिफॉल्ट होने की बाउंस रेंज सुधरी है उस समय लोन डिफॉल्ट होने की बाउंस रेंज 24.5%-25.0% थी. अब ये 22.8 फीसदी है.
अगर हम होम लोन की बात करें तो साल 2018-19 में 18.4 लाख करोड़ रुपये का होम लोन दिया गया था. साल 2019-20 में 20 लाख करोड़ रुपये और साल 2020-21 में 22.4 लाख करोड़ रुपये का होम लोन लिया गया.
देश में इस समय लोन इंडस्ट्री 156.9 लाख करोड़ रुपए की है. इसमें सबसे अधिक हिस्सा होम लोन का है. लोन लेने वालों में ज्यादातर की उम्र 36 से 50 साल के बीच की होती है.
होम लोन लेने वालों के आंकडे बताते हैं कि लोन से घर लेने वालों में 50 साल से ज्यादा उम्र के 16.3फीसदी, 36 से 50 साल के 48.6 फीसदी, 26 से 35 साल के 32.8 फीसदी और 25 साल से कम उम्र वाले 2.4 फीसदी लोग होते हैं. ये तमाम आंकडों को देखें तो पता चलता है कि पेट्रोल और डीजल के बढते दाम और बढती महंगाई ने लोगों की लोन चुकाने की हैसियत को तोड दिया है.
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https://www.youtube.com/watch?v=VA1DRpzHiu4