अब लोन के लिए चुकानी होगी ज्‍यादा किस्‍त

ऐसे में अब हम ये कह सकते हैं कि सस्‍ते कर्ज के अच्‍छे दिन अब खत्‍म हो चुके हैं. क्‍योंकि अन्‍य बैंक भी जल्‍द ही ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे.

अब लोन के लिए चुकानी होगी ज्‍यादा किस्‍त
बढ़ती महंगाई केवल खाने-पीने और तेल की कीमतों पर ही असर नहीं डालती है. ये कर्ज को भी महंगा करती है. महंगाई की आग में जल रहे कंज्‍यूमर्स और कॉरपोरेट्स दोनों को अब लोन लेने के लिए अधिक ब्‍याज चुकाना होगा. देश के सबसे बड़ी सरकारी बैंक भारतीय स्‍टेट बैंक ने सभी अवधि के लिए अपने मार्जिनल कॉस्‍ट ऑफ फंड्स आधारित लेंडिंग रेट यानी MCLR में तीन साल बाद बढ़ोतरी की है. बैंक ऑफ बड़ोदा, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी कर्ज की सीमांत लागत को बढ़ा दिया है.
अब आप सोच रहे होंगे कि RBI ने तो रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया फ‍िर बैंक क्‍यों ब्‍याज बढ़ा रहे हैं. इसका जबाव है महंगाई….. बढ़ती महंगाई के कारण बैंकों ने अपनी जमा ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी की है. इस वजह से उनकी कर्ज की लागत बढ़ गई है और यही वजह है कि अब वह अपने कर्ज को भी महंगा कर रहे हैं.
अक्‍टूबर, 2019 से पहले जिन उपभोक्‍ताओं ने फ्लोटिंग रेट पर लोन ले रखा है, उनके लिए अब मंथली EMI बढ़ जाएगी. अभी तक एसबीआई की एमसीएलआर 7 फीसदी थी. मतलब बैंक इससे कम ब्‍याज दर पर कोई ऋण नहीं दे सकता था. अब एमसीएलआर बढ़कर 7.10 फीसदी हो गई है, जिससे साफ है कि अब कोई भी नया लोन इससे अधिक ब्‍याज पर ही मिलेगा.
MCLR दरअसल एक रेफरेंस रेट है. इसे आप किसी बैंक या वित्तीय संस्थान का इंटरनल बेंचमार्क भी कह सकते हैं. ये बेंचमार्क इसलिए है क्योंकि बैंक इस आधार पर ही न्यूनतम लोन इंटरेस्ट रेट तय करते हैं. यानी कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान MCLR से नीचे होम लोन नहीं दे सकता है.
MCLR तय करने में एक फैक्टर बैंक की ऑपरेटिंग कॉस्ट भी होती है. इसमें फंड जुटाने का खर्च, नई शाखाएं खोलने पर लगने वाली पूंजी, कर्मचारियों की सैलरी, बिजली-पानी का बिल, जनरेटर का डीजल और पेन, पेंसिल, कागज आदि का हर छोटा-बड़ा खर्च शामिल होता है.
अब MCLR केवल नए कॉरपोरेट लोन के लिए लागू होता है. उपभोक्‍ता लोन एक्‍सटर्नल बेंचमार्क लिंक्‍ड लेंडिंग रेट के आधार पर दिए जाते हैं. हालांकि अभी भी MCLR लिंक्‍ड लोन की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है. दिसंबर 2021 तक बैंकिंग सिस्‍टम में कुल ऋणों में एमसीएलआर लिंक्‍ड ऋण 53.1 फीसदी थे. बैंकों का कहना है कि 2022 की शुरुआत से डिपोजिट रेट बढ़ने की वजह से फंड जुटाने की लागत निरंतर बढ़ रही है तो ऐसे में अब हम ये कह सकते हैं कि सस्‍ते कर्ज के अच्‍छे दिन अब खत्‍म हो चुके हैं. क्‍योंकि अन्‍य बैंक भी जल्‍द ही ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे.
विभिन्‍न बैंकों की एक साल की  MCLR
– बैंकMCLR
– SBI   7.1%
– बैंक ऑफ बड़ौदा 7.35 %
– एक्सिस बैंक 7.4%
– कोटक महिंद्रा बैंक 7.4 %
– HDFC बैंक 7.25%
– PNB बैंक 7.25%
– ICICI बैंक 7.25%
MCLR में किस बैंक ने की कितनी बढ़ोतरी 
– एसबीआई–   10  बेसिस पॉइंट
– बैंक ऑफ बड़ौदा–  5  बेसिस पॉइंट
– एक्सिस बैंक–  5  बेसिस पॉइंट
– कोटक महिंद्रा बैंक–  5  बेसिस पॉइंट
Published - April 21, 2022, 04:42 IST