मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की अगली बैठक अगस्त में 8 से शुरू होने वाली है. यह बैठक 10 अगस्त 2023 तक चलेगी. इसके बाद, 10 अगस्त को इस बैठक के नतीजे सामने आएंगे. पिछली दो बैठकों में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की छह सदस्यों वाली समिति इस बार भी रेपो रेट को यथावत रख सकती है. इससे पहले फरवरी में रेपो रेट को 6.25 से बढाकर 6.5 किया गया था. इस बार की बैठक में आरबीआई के सामनें कई बड़ी चुनौतियां हैं.
आरबीआई के सामने बड़ी चुनौती
दरअसल, बढती महंगाई के बीच आरबीआई के सामने रेपो रेट बढाने को लेकर बड़ी चुनौती है. आम आदमी के ऊपर इन महंगाई का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. टमाटर सहित सब्जियों के दाम आसमान पर हैं. दूसरी तरफ, लोन की ईएमआई के बोझ ने बुरा हाल कर रखा है. ऐसे में, आम आदमी महंगे कर्ज से राहत की उम्मीद लगाए बैठा है. आरबीआई की इस बैठक में लिए गए फैसलों का असर सीधा आम लोगों की जेब पर पड़ता है. रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज (Expensive Loans) महंगा होता है और ईएमआई (EMI) भी बढ़ जाती है. ऐसे में, कर्ज लेने वालों को भी आरबीआई से उम्मीद लगाएं है कि रेपो रेट (RBI Repo Rate) में बदलाव नहीं हो.
क्या बढेगा रेपो रेट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी अगली मौद्रिक समिति की बैठक में लगातार तीसरी बार प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रख सकता है. दरअसल, यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) और यूरोपियन सेंट्रल बैंक (European Central Bank) ने अपने दरों में बढ़ोतरी की है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि घरेलू महंगाई आरबीआई के कंफर्ट जोन में बनी हुई है. यानी आरबीआई रेपो रेट को 6.5 ही रख सकता है. गौरतलब है कि आरबीआई की छह सदस्यी मौद्रिक समिति हर 2 महीनों में तीन दिनों के लिए बैठक करती है. दो दिन की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर इस कमिटी के फैसले की घोषणा करते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई को रेपो रेट में इस बार कोई बदलाव नहीं करना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स में आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री, अदिति नायर ने कहा कि सब्जियों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से जुलाई, 2023 में सीपीआई की छह प्रतिशत से ऊपर पहुंचने की संभावना है. ऐसे में उम्मीद है कि रेपो दर पर निरंतर रोक और आगामी नीति समीक्षा में रुख के बीच एमपीसी की टिप्पणी काफी कड़ी होगी. कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि 2,000 रुपए के नोट वापस लेने की घोषणा के बाद तरलता की स्थिति अनुकूल हो गई है, ऐसे में आरबीआई रेपो रेट को यथावत रख सकती है.