हर कारोबारी, चाहे बड़ा हो या छोटा, उसे कई बार छोटे-छोटे खर्चों या कारोबार बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है. ऐसे मामले में कारोबारी अपनी जेब से या फिर दूसरे सोर्स से पैसा जुटाता है. हालांकि, इसका एक सामान्य तरीका बिजनेस लोन भी है. बिजनेस लोन हर तरह के कारोबारियों को छोटे-मोटे खर्चों जैसे वेतन भुगतान, मशीनरी खरीदने या रेंट भरने और बड़े विस्तार जैसे फैक्टरी लगाने या ऑफिस खोलने में मदद करता है.
कई कारोबारियों को बिजनेस लोन को लेकर तरह-तरह की शंकाएं रहती हैं. खासकर छोटे और मझोले उद्यमों को जिन्होंने कभी बिजनेस लोन नहीं लिया है. हम इस खबर में इन्हीं मिथकों के बारे में जानकारी देंगे.
मिथक-1: सिर्फ बैंक देते हैं बिजनेस लोन
कई कारोबारी खासकर नए कारोबारी मानते हैं कि बिजनेस लोन सिर्फ बैंक ही देते हैं जबकि ऐसा नहीं है. दर्जनों नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) के साथ फिनटेक स्टार्टअप कंपनियां भी इस तरह के कर्ज देती हैं. बैंक खासकर सार्वजनिक बैंक किफायती दरों पर कर्ज देते हैं जबकि NBFC समेत दूसरे संस्थान कर्ज की जल्द अप्रूवल, बेहतर कस्टमर सर्विस समेत अन्य सहूलियतें देते हैं.
मिथक-2: एसेट के बदले मिलता है लोन
छोटे कारोबारियों में अक्सर यह धारणा होती है कि लोन अप्रूवल से पहले वित्तीय संस्थान एसेट गिरवी रखने की मांग करते हैं. इसी वजह से छोटे कारोबारी बिजनेस लोन लेने से बचते हैं. दरअसल, उनके पास गिरवी रखने के लिए या तो पर्याप्त संपत्ति नहीं होती है या फिर उन्हें संपत्ति खोने का डर रहता है. हकीकत में, कर्जदाता संपत्ति रखकर और बिना संपत्ति रखे दोनों तरह से कर्ज देते हैं… छोटे बिजनेस लोन कुछ मामलों में 50 लाख रुपए या उससे अधिक पर आमतौर पर कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती है. कई कर्जदाता लाइन ऑफ क्रेडिट, मर्चेंट कैश एडवांस और दूसरे तरह के कर्ज देते हैं, जो कि कोलेटरल फ्री होते हैं.
मिथक-3: सिर्फ बड़ी कंपनियों को मिलता है बिजनेस लोन
बिजनेस लोन के लिए कारोबार का आकार मायने नहीं रखता है. कई बैंक और NBFC छोटे एवं मझोले उद्यमों को बढ़-चढ़कर कर्ज देते हैं. कई कर्जदाता तो ऐसे कारोबारों को लोन देते हैं, जो सिर्फ अभी शुरू ही हुए हैं और यहां तक कि उन्होंने कमाई करना भी शुरू नहीं किया है. इसके अलावा, डॉक्टर और चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशेवर भी बिजनेस लोन ले सकते हैं. कर्जदाता की मुख्य चिंता काराबोर का आकार नहीं बल्कि उसके कर्ज चुकाने की क्षमता है. इसलिए अगर कोई कारोबार कर्ज की अदायगी के लिए पर्याप्त कैश फ्लो जेनरेट कर रहा है तो उसे आराम से कर्ज मिल सकता है.
मिथक-4: लोन की प्रक्रिया लंबी और जटिल
हर कर्जदाता के पास बिजनेस लोन को मंजूरी देने की अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं. कड़ी प्रतिस्पर्धा की वजह से कई कर्जदाताओं ने लोन की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाया है. अब बिजनेस लोन को मंजूरी देने में महीनों नहीं लगते हैं. मिनटों में बिजनेस लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है. कुछ समय के अंदर कर्जदाता दस्तावेजों को वैरिफाई करके लोन को मंजूरी दे देता है. कुछ दिनों में पैसा कारोबारी के खाते में आ जाता है.
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