पढ़ाई से लेकर गाड़ी लेने के लिए आजकल लोग तरह-तरह के लोन लेते हैं. आमतौर पर माना जाता है कि जिसका सिबिल (CIBIL) स्कोर अच्छा होता है, उन्हें लोन आसानी से मिल जाता है. लेकिन ऐसा न होने पर कई बार आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसा ही कुछ केरल के एक छात्र के साथ भी हुआ था. सिबल स्कोर कम होने पर उसका एजुकेशन लोन के लिए किया गया आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन क्या आपको पता है बैंक ऐसा नहीं कर सकता है. दरअसल केरल हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि कम सिबिल स्कोर के आधार पर एजुकेशन लोन के लिए आवेदन रिजेक्ट नहीं किया जा सकता है.
एजुकेशन लोन से संबंधित आवेदनों पर विचार के लिए बैंकों व फाइनेंस कंपनियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. कोर्ट ने कहा, छात्र कल के राष्ट्र निर्माता हैं. उन्हें भविष्य में इस देश का नेतृत्व करना है. सिर्फ इसलिए कि सिबिल स्कोर कम है, इस बिनाह एक छात्र के शिक्षा ऋण के आवेदन निरस्त नहीं किया जाना चाहिए.
जबरन गाड़ी जब्त करने पर कोर्ट सख्त
लोन से जुड़ा एक ऐसा ही मामला पटना में भी देखने को मिला. जिसमें हाईकोर्ट ने उन बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को जमकर फटकार लगाई है, जो लोन रिकवरी के लिए गलत तरीका अपना रहे हैं. पटना हाईकोर्ट ने बैंकों और वित्तीय कंपनियों की ओर से कार लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुका पाने वाले ग्राहकों के वाहनों को जबरन जब्त करने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने इसके लिए रिकवरी एजेंटों का सहारा लिए जाने को गलत ठहराया. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने दोषी बैंकों और वित्त कंपनियों में से प्रत्येक पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया. न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने मई को एक फैसले में कहा कि वसूली एजेंटों की ओर से वाहनों की जब्ती अवैध है और ये लोन लेने वाले के जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
क्या है CIBIL स्कोर?
सिबिल स्कोर तीन अंक की संख्या होती है. यह 300 से 900 तक होती है. इसके जरिए किसी व्यक्ति की लोन लेने की योग्यता आंकी जाती है. जब भी कोई नए लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है तो लोन देने वाले संस्थान आवेदक के क्रेडिट स्कोर की जांच करता है. वे इसके जरिए लोन देने के जोखिम का मूल्यांकन करते हैं. 800 से 900 के बीच के क्रेडिट स्कोर को सबसे अच्छा माना जाता है. ऐसे ग्राहकों को लोन के लिए आसानी से मंजूरी मिल जाती है, वहीं सिबिल स्कोर कम होने पर लोन की मंजूरी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.