निजी कंपनी में काम कर रहे राहुल पिछले छह महीने से घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं. एनसीआर के कई प्रोजेक्टों में फ्लैट देख चुके हैं. लेकिन कीमतें बढ़ने की वजह से डील पक्की करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे. आरबीआई की पॉलिसी जारी होने के होने बाद उनकी परेशानी और बढ़ गई है. वह समझ नहीं पा रहे हैं कि घर खरीदने की प्लानिंग को जारी रखें या कुछ दिनों के लिए टाल दें. आखिर क्या है वजह? चलिए समझते हैं-
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन महंगाई के मोर्चे पर चिंताएं बढ़ गई हैं. केंद्रीय बैंक ने सितम्बर तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को एक फीसद बढ़ाकर 6.2 फीसद कर दिया है. साथ ही संकेत दिए हैं कि अगले एक साल तक कर्ज सस्ता होने के आसार नहीं है.
राहुल जैसे अनेक लोग कर्ज सस्ता होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि घर खरीदने का सपना पूरा हो जाए. इसके उलट कई बड़े बैंकों ने होम लोन की ब्याज दरें फिर से बढ़ा दी हैं. साथ ही कोरोना महामारी के बाद दिल्ली एनसीआर में प्रॉपर्टी के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. क्रेडाई की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 की पहली तिमाही में पिछले साल की तुलना में प्रॉपर्टी के दाम 16 फीसद बढ़े हैं. राहुल जैसे लोगों की परेशानी का यही कारण है… आखिर राहुल के पास अब क्या विकल्प हैं?
ज्यादा डाउन पेमेंट करें
घर खरीदने के लिए बैंक प्रॉपर्टी की कीमत का 90 फीसद तक लोन देते हैं. होम लोन की ईएमआई के भारी बोझ से बचने के लिए राहुल को डाउन पेमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे का इंतजाम करना चाहिए. इसके लिए एफडी, आरडी, डेट फंड जैसे कम रिटर्न वाले निवेश का इस्तेमाल कर सकते हैं… राहुल को इस निवेश में होम लोन के ब्याज से कम ही रिटर्न मिलेगा. ऐसे में अपना पैसा होते हुए ऊंची ब्याज दरों पर ज्यादा लोन लेने में कोई समझदारी नहीं है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं पिछले एक साल में प्रॉपर्टी की कॉस्ट तेजी से बढ़ी है. होम लोन के रेट भी डबल डिजिट के करीब हैं. आगे इसमें और वृद्धि के आसार हैं. घर खरीदने की प्लानिंग सोच समझ कर ही करनी चाहिए. ऐसे में बेहतर रहेगा कि घर की डील करने से पहले डाउन पेमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा रकम का इंतजाम कर लें. होम लोन की रकम कम से कम ही रखें. इससे ईएमआई की रकम भी कम बनेगी. डाउन पेमेंट के लिए अपनी बचत का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर रिटायरमेंट आदि के लिए लंबी अवधि का निवेश है तो उसे नहीं तोड़ना चाहिए.
कितनी होनी चाहिए EMI
जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि आवश्यक वस्तुओं की महंगाई तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में घर, कार व अन्य लोन से जुड़ी ईएमआई की रकम आपकी मासिक आय के 40 फीसद से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप इससे ज्यादा ईएमआई रखते हैं तो डिफॉल्ट होने का जोखिम बढ़ जाएगा. इससे आगे चलकर वित्तीय संकट पैदा हो सकता है.
अगर राहुल के पास डाउन पेमेंट के लिए पर्याप्त रकम है तो वह घर की डील पक्की करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं. अगर पैसे का इंतजाम नहीं है तो घर की प्लानिंग को टाल देना चाहिए. साथ ही डाउन पेमेंट के लिए पैसे जोड़ने की प्लानिंग करें ताकि अपने सपनों के घर में चैन की सांस ले सकें.