राहुल घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं. घर के लिए बड़ी राशि एक साथ देना तो मुश्किल है, इसलिए होमलोन की मदद से ड्रीम होम का सपना पूरा करेंगे. लेकिन बैंक से कितना लोन मिल सकता है और जितना लोन नहीं मिलेगा उन पैसों का इंतजाम करके पेमेंट करना होगा, जिसे डाउनपेमेंट कहते हैं. इसे लेकर राहुल उलझे हुए हैं.
अगर राहुल को अपने लोन के LTV Ratio यानी लोन-टू-वैल्यू रेशयो के बारे में पता होगा, तो उनके लिए सारा कैलकुलेशन आसान हो जाएगा. क्या होता है ये LTV रेश्यो और ये कैसे तय होता है?
RBI की गाइडलाइंस के अनुसार बैंक मकान की कीमत की एक तय सीमा तक ही लोन दे सकते हैं. किसी प्रॉपर्टी पर कितना लोन मिलेगा, ये लोन-टू-वैल्यू रेश्यो पर निर्भर करेगा जो बताता है कि घर की कीमत के हिसाब से कितना लोन मिल सकता है.
RBI के नियमों के तहत अगर मकान की कीमत 30 लाख रुपए तक है तो बैंक उसपर 90 फीसद तक का होमलोन दे सकते हैं. अगर मकान की वैल्यू 30 लाख से 75 लाख रुपए के बीच है तो लोन-टू-वैल्यू रेश्यो 80 फीसद तक हो सकता है. मकान की कीमत 75 लाख रुपए से ऊपर होने पर बैंक 75 फीसद तक ही लोन दे सकते हैं.
मान लीजिए कि आप 60 लाख रुपए का घर खरीदने वाले हैं. RBI के नियमों के तहत बैंक 80 फीसदी तक लोन-टू-वैल्यू रेश्यो दे सकते हैं… लेकिन जरूरी नहीं कि बैंक आपको कीमत का 80 फीसदी लोन दे दें. अगर बैंक 70 फीसद लोन-टू-वैल्यू रेश्यो ऑफर करता है तो आपको 42 लाख रुपए का होमलोन मिलेगा और बाकी 18 लाख की रकम अपनी जेब से देनी होगी, जिसे डाउन पेमेंट कहते हैं. जब आप बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो जरूरी नहीं कि आपको उतना ही लोन मिल जाए जितना आप लेना चाहते हैं.
LTV रेश्यो तय करने में बैंक कई चीजें देखते हैं जैसे कि मकान खरीदार की लोन चुकाने की क्षमता, जिसमें उसकी कमाई और सारे मौजूदा लोन को आंका जाता है. उसकी आयु और जो प्रॉपर्टी खरीदी जा रही है उसकी स्थिति का जायजा भी लिया जाता है.
अब LTV रेश्यो का कैलकुलेशन फॉर्मूला जानिए. खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी पर मिल रहे लोन और प्रॉपर्टी की कीमत के आधार पर इसे कैलकुलेट किया जाता है. लोन की राशि को भाग कीजिए प्रॉपर्टी की वैल्यू से और फिर गुना कीजिए 100 से.
उदाहरण के लिए- राहुल 50 लाख रुपए की डील पक्की कर रहे हैं. RBI के नियमों के तहत उऩ्हें 80 फीसद यानी 40 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है, लेकिन बैंक राहुल की वित्तीय हालत के आधार पर 35 लाख रुपए का ही लोन मंजूर करते हैं. ऐसे में राहुल के मकान का LTV रेश्यो 70 फीसद होगा और राहुल को 15 लाख रुपए का डाउन पेमेंट करना होगा.
अगर राहुल डाउन पेमेंट की राशि को और बढ़ा लेते हैं तो LTV रेश्यो को घटा पाएंगे… लेंडर यानी कर्ज देने वाले संस्थान ज्यादा डाउन पेमेंट देने वाले ग्राहकों को वरीयता देते हैं. LTV रेश्यो जितना कम होगा. बैंक लोन देने में उतने ही ज्यादा सहज होते हैं.
टैक्स एंड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि होमलोन के मामले में प्रॉपर्टी की agreement to sale में दर्ज वैल्यू मायने नहीं रखती. बैंक अपने valuer से मकान की कीमत का आकलन कराएगा और दोनों में से जो वैल्यू कम होगी, उसी के आधार पर लोन पर विचार करेगा.
जैन कहते हैं कि लोन मंजूर होने में खरीदार की सालाना आय, आयु और क्रेडिट हिस्ट्री काफी मायने रखती है. अगर आपका लोन-टू-वैल्यू रेश्यो कम है तो इससे बैंक का रिस्क ऑफ मार्जिन कम हो जाता है. ऐसे में बैंक आपको कम ब्याज पर लोन दे सकता है लेकिन इसके लिए आपको बैंक के साथ मोलभाव करना होगा. बिना मोलभाव के कोई भी बैंक ब्याज दर में कमी नहीं करेगा.
ऐसे में राहुल की तरह अगर आप भी होमलोन के जरिए घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले डाउनपेमेंट के लिए अच्छी खासी रकम का इंतजाम कर लें. आप डाउन पेमेंट के रूप में जितनी ज्यादा रकम चुकाएंगे. आपका लोन-टू-वैल्यू रेश्यो उतना ही कम होगा. इससे आपको होमलोन लेने में आसानी होगी, साथ ही ब्याज भी कम चुकाना पड़ सकता है.