कर्ज देने में सतर्कता बरतें NBFC: वित्त मंत्री

आरबीआई ने छोटे वित्त बैंकों, एनबीएफसी को सचेत किया है कि वे सावधान रहें, बाद में किसी नकारात्मक पहलू का सामना करना पड़े

कर्ज देने में सतर्कता बरतें NBFC: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्त बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के सुझाव के अनुरूप कर्ज देते समय सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने आगाह किया कि एनबीएफसी और छोटे वित्त बैंकों को सीमा रेखा का सम्मान करना चाहिए और अतिउत्साहित नहीं दिखाना चाहिए. सीतारमण ने कहा कि उत्साह अच्छा है, लेकिन कभी-कभी लोगों के लिए इसे पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. इसलिए सावधानी के तौर पर आरबीआई ने छोटे वित्त बैंकों, एनबीएफसी को सचेत किया है कि वे इस बात को लेकर सावधान रहें कि इतनी तेजी से आगे न बढ़ें कि उन्हें बाद में किसी नकारात्मक पहलू का सामना करना पड़े.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा था कि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इस महीने की शुरुआत में असुरक्षित ऋणों पर केंद्रीय बैंक ने सख्त रुख अपनाया है. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिये व्यक्तिगत और क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे असुरक्षित माने जाने वाले ऋण के नियमों को कड़ा किये जाने की घोषणा की. संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 फीसद की वृद्धि की गई है.

आरबीआई ने एक परिपत्र में कहा कि समीक्षा के आधार पर व्यक्तिगत कर्ज सहित वाणिज्यिक बैंकों (बकाया और नये) के उपभोक्ता कर्ज के मामले में जोखिम के संबंध में जोखिम भार बढ़ाने का फैसला किया गया है. इसके तहत जोखिम भार को 25 फीसद बढ़ाकर 125 फीसद कर दिया गया है. हालांकि, इसमें आवास ऋण, शिक्षा कर्ज, वाहन कर्ज और सोना तथा स्वर्ण आभूषण के आधार पर लिये गये कर्ज को शामिल नहीं किया गया है. केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी के लिये कर्ज प्राप्तियों पर जोखिम भार को भी 25 फीसद बढ़ाकर क्रमशः 150 फीसद और 125 फीसद कर दिया है.

कर्ज की ग्रोथ पर पड़ेगा असर

रिजर्व बैंक के बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत कर्ज से जुड़े नियमों को कड़ा किये जाने से ऋण वृद्धि पर असर पड़ेगा. इसका कारण बैंकों और एनबीएफसी को अब ऐसे कर्ज के एवज में अधिक पूंजी प्रावधान करने की जरूरत पड़ेगी. साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में यह भी कहा कि इससे इस तरह के कर्ज की बढ़ती मांग भी कम होने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में उपभोक्ता कर्ज तेजी से बढ़ा है। ऐसे में हमारा मानना है कि बैंक प्रणाली के स्तर पर उपभोक्ता कर्ज से उत्पन्न उभरते जोखिम को नियंत्रित करने के लिये इस मामले में सख्ती सकारात्मक प्रयास है.

फिच के अनुसार, बैंकों के असुरक्षित माने जाने वाले क्रेडिट कार्ड कर्ज और व्यक्तिगत ऋण में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना आधार पर क्रमश: 29.9 फीसद और 25.5 फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि सभी कर्ज को मिलाकर कुल वृद्धि 20 फीसद रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि असुरक्षित उपभोक्ता ऋण का बढ़ना अधिक जोखिम लेने का भी संकेत देता है. इसके कारण बैंक और एनबीएफआई सुरक्षित खुदरा कर्ज को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच शुद्ध ब्याज मार्जिन भी बचाए रखना चाहते हैं.

NBFC को जिम्मेदार ठहराया

दूसरी ओर अनसिक्योर्ड लोन पर RBI की सख्ती के लिए बैंकों ने गैर बैंकिंग कंपनियों की तरफ से दिए जा रहे छोटे कर्जों को जिम्मेदार ठहराया है. गौरतलब है कि आरबीआई को सबसे ज्यादा चिंता 50,000 रुपए से कम के अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन को लेकर है. दरअसल, इस सेगमेंट में एनबीएफसी का एक्सपोजर ज्यादा है. एनबीएफसी फिनटेक कंपनियों के साथ मिलकर छोटे कर्ज लेने वालों की मांग को पूरा कर रही हैं. बैंकों का कहना है कि एनबीएफसी पर किसी भी तरह के तनाव का असर पूरे बैंकिंग सेक्टर पर पड़ेगा.

Published - November 24, 2023, 12:40 IST