डेटा बचाने के चक्कर मुश्किल हो जाएगा कर्ज लेना!

ग्राहकों के क्रेडिट इतिहास के आधार पर CICs क्रेडिट स्कोर तैयार करता है.

डेटा बचाने के चक्कर मुश्किल हो जाएगा कर्ज लेना!

लोगों के डेटा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) के तहत लोगों को यह सुविधा दी गई थी कि वो क्रेडिट सूचना कंपनी (CICs) के डेटाबेस से अपने लोन की जानकारी को हटा सकते हैं. हालांकि अगर बैंक ग्राहक ऐसा अनुरोध करते हैं, तो वे भविष्य में बैंकिंग प्रणाली को जारी रखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. आईटी मंत्रालय के अधिकारी से यह जानकारी मिली है.

जानकारी के अभाव में कर्ज देना मुश्किल

अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक CICs के डेटाबेस से अपने व्यक्तिगत क्रेडिट डेटा को हटाने का अनुरोध करने के अधिकार का प्रयोग करने के बाद बैंक ग्राहक को कर्ज नहीं देने का विकल्प चुन सकता है. जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के पार्टनर सजय सिंह ने कहा, क्रेडिट-जोखिम का आकलन करने के लिए कम बैंक के पास जरूरी जानकारी होने चाहिए. जानकारी के अभाव में लेंडर्स कुछ व्यक्तियों को कर्ज देने से बच सकता है.

DPDP अधिनियम, 2023 को पिछले साल अगस्त में अधिसूचित किया गया था, लेकिन इसे लागू करने के लिए जरूरी गाइडेंस देने वाले अधिनियम के तहत नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है.

जारी नहीं रख पाएंगे बैंकिंग प्रणाली

आईटी मंत्रालय के अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि क्रेडिट सूचना कंपनी के संबंध में, अगर कोई यूजर यह तय करता है कि उन्हें बैंकिंग प्रणाली के साथ कुछ भी नहीं करना है, तो वे अपने व्यक्तिगत डेटा को हटाने के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (डीपीबी) से संपर्क कर सकते हैं. हालांकि, ऐसे ग्राहक भविष्य में बैंकिंग प्रणाली को जारी नहीं रख पाएंगे.

टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स और पॉलिसी के वकील इस बात पर विभाजित थे कि क्या CICs को नए डेटा कानून के तहत छूट दी जा सकती है और क्या लोग गोपनीयता की वजह से पूरा डेटा हटाने का अनुरोध कर सकते हैं.

कैसे तय होता है क्रेडिट स्कोर?

ग्राहकों के क्रेडिट इतिहास के आधार पर CICs क्रेडिट स्कोर तैयार करता है. CICs क्रेडिट स्कोर तय करने के लिए किसी व्यक्ति के बकाया कर्ज और पुनर्भुगतान/चूक के इतिहास की जानकारी का इस्तेमाल करते हैं. CICs को क्रेडिट सूचना कंपनी अधिनियम, 2005 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लाइसेंस मिला है.

CICs अपने यूजर्स की व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी इकट्ठा करने के लिए CICs अधिनियम का पालन करते हैं. उन्हें DPDP अधिनियम के तहत प्रावधानों का भी पालन भी करना पड़ता है. DPDP अधिनियम के तहत आईटी मंत्रालय किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी निकाय को व्यापक छूट देने की संभावना नहीं रखता है. ऐसे सभी निकाय जो छूट चाहते हैं, उन्हें डीपीबी से संपर्क करना चाहिए.

क्रेडिट ब्यूरो के पास जानकारी

ट्रांसयूनियन सिबिल, एक्सपेरियन, इक्विफैक्स और CRIF हाई मार्क जैसे क्रेडिट ब्यूरो को भारत में काम करने के लिए RBI की मंजूरी दी गई है. उदाहरण के लिए, ट्रांसयूनियन सिबिल, 60 करोड़ व्यक्तियों और 3.2 करोड़ व्यवसायों की क्रेडिट फाइलें रखता है.

थर्ड पार्टी करती है CICs को डेटा सप्लाई

थर्ड पार्टी एल्गोरिदम और ऑटोमेटेड प्रोसेसिंग के जरिए CICs को डेटासेट सप्लाई करते हैं. यह व्यक्तियों के क्रेडिट स्कोर पर बहुत बेहतर जानकारी पेश करता है. इन क्रेडिट प्रोफाइल में क्रेडिट जानकारी के अलावा, कई और डेटा शामिल होता है. इसमें रोजगार विवरण, सोशल मीडिया गतिविधि और वेब ब्राउज़िंग इतिहास शामिल हो सकते हैं.

Published - February 6, 2024, 02:41 IST