दीपक बैंक से लोन लेकर घर खरीद रहे हैं. बैंक अधिकारी लोन एग्रीमेंट की किट लेकर साइन कराने के लिए घर पहुंच गए. दीपक ने करीब 60 पेज के डॉक्यूमेंट्स पर बिना सोचे-समझे साइन कर दिए. बाद में पता चला कि होम लोन के साथ 1.10 लाख रुपए के सिंगल प्रीमियम की तीन बीमा पॉलिसियां उन्हें बेच दी गई हैं. इससे लोन की EMI 965 रुपए बढ़ गई. इस तरह उन्हें 20 साल में 2.31 लाख रुपए अतिरिक्त चुकाने होंगे, जबकि दीपक के पास पहले से 1 करोड़ रुपए का टर्म इंश्योरेंस कवर है.
ऐसे में अगर आप होम लोन ले रहे हैं तो दीपक की तरह डॉक्यूमेंट्स पर बिना पढ़े साइन न करें. इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि होम लोन एग्रीमेंट एक ऐसा दस्तावेज है, जो बैंक और ग्राहक को लोन से जुड़े नियम और शर्तों में बांधता है. जब ग्राहक एक बार लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर देता है, तो फिर इससे पीछे हट पाना आसान नहीं होता. इसलिए एग्रीमेंट को पढ़ने के लिए बैंक से समय लें. इसके बाद ही दस्तखत करें. आइए समझते हैं कि होम लोन एग्रीमेंट पर दस्तखत करने से पहले किन-किन प्रमुख बिंदुओं पर गौर करना चाहिए.
दूसरे शहर में जाकर रहने पर बैंक को देनी होगी सूचना
होम लोन 10 से 20 साल की लंबी अवधि का होता है. लोन एग्रीमेंट में एक तरह के शुल्कों का ब्योरा होता है, जैसे, EMI चूकने पर पेनाल्टी और ब्याज का प्रावधान. अगर बैंक को बिना बताए मकान रेंट या लीज पर दे दिया तो बैंक शुल्क वसूल सकता है. अगर आपने नौकरी बदली है और दूसरे शहर में जाकर रहने लगे हैं तो इसकी बैंक को सूचना देने की आवश्यकता पड़ सकती है. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है. इसी तरह, आप EMI के भुगतान के लिए बैंक बदलते हैं तब भी आपसे चार्ज वसूला जा सकता है. बैंक फ्लोटिंग रेट के लोन के प्रीपेमेंट पर कोई शुल्क नहीं लेते, लेकिन फिक्स्ड रेट के लोन के प्रीपेमेंट पर लोन ले रहे हैं. तो एग्रीमेंट में शुल्क का ब्योरा हो सकता है. इस तरह की शर्तों को तसल्ली से पढ़ें, ताकि भविष्य में इस बारे में अच्छी तरह से प्लानिंग कर सकें.
EMI नहीं चुकाने पर डिफॉल्टर घोषित हो सकता है कर्जदार
आमतौर पर जब कर्जदार लोन की EMI समय पर नहीं चुकाता है तो बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित कर देता है. EMI का 90 दिन तक भुगतान नहीं होता है, तो लोन अकाउंट को NPA घोषित कर दिया जाता है. हालांकि कुछ ऐसी भी स्थितियां बनती हैं. जब बैंक किसी कर्जदार को डिफॉल्टर घोषित कर सकता है. अगर कर्जदार की मौत हो जाती है, पति-पत्नी संयुक्त आवेदक हैं और इनमें तलाक हो जाता है. तो ऐसी स्थिति में भी EMI रुक सकती हैं. एग्रीमेंट में इस तरह की शर्तों को ध्यान से पढ़ें.
अगर आप बैंक से फ्लोटिंग रेट पर लोन ले रहे हैं, तो इसकी ब्याज दरें बाहरी बेंचमार्क यानी रेपो रेट से जुड़ी होंगी. रेपो रेट में बदलाव होने पर होम लोन की ब्याज दरें भी घटती-बढ़ती रहेंगी. यह बदलाव तिमाही आधार पर होता है. हालांकि विभिन्न बैंकों में यह नियम अलग-अलग हो सकता है. एग्रीमेंट में यह क्लॉज शामिल होता है. कुछ बैंक बेंचमार्क दर में बदलाव के तुरंत बाद अपनी ब्याज दरें रीसेट करते हैं. एग्रीमेंट में आपको इस बात का पता करना चाहिए कि लोन की ब्याज दर किस आधार पर बदली जाएंगी.
एग्रीमेंट में बैंक के पास ज्यादा अधिकार
पूर्व बैंकर और loan4msme के फाउंडर अमित कुमार तंवर कहते हैं कि सही मायने में देखा जाए तो होम लोन के लिए बैंक का एकतरफा एग्रीमेंट होता है. इसमें ग्राहक के पास ज्यादा अधिकार नहीं होते. साथ ही एग्रीमेंट की भाषा शैली बहुत ही जटिल होती है. आम लोग तो क्या पढ़े-लिखे लोगों के भी समझ में नहीं आती. किसी भी धोखे से बचने का सही तरीका यह है कि बैंक की ओर से साइन कराने वाले अधिकारी से एग्रीमेंट से जुड़ी शर्तों को अच्छी तरह से समझें. इस दौरान लोन से जुड़े विभिन्न प्रकार के शुल्कों के बारे में समझें. इसमें अगर आपको कुछ गलत लग रहा है, तो उस क्लॉज को हटाने के लिए कहें. लोन के साथ बैंक जो बीमा प्लान बेच रहा है. उन्हें कम करने के लिए बातचीत करें. इस पहल के जरिए आप धोखाधड़ी से बच सकते हैं. साथ ही लंबी अवधि में बड़ी बचत कर सकते हैं.