सरकार ने पिछले नौ वित्त वर्ष (2014-15) के दौरान 14.56 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्जों (एनपीए) को बट्टे खाते में डाला गया है. 2014 के बाद से नौ वित्तीय वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 14,56,226 करोड़ रुपए के बुरे ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया है. बट्टे खाते में डाले गए कर्ज की वसूली प्रक्रिया बंद नहीं होती है, बल्कि धीरे-धीरे चलती रहती है. इस वजह से इसे पूरी तरह से माफ करना नहीं कहा जा सकता है. हालांकि बट्टे खाते में वसूली का स्तर बहुत कम होता है. बट्टे खाते में डाली गई कुल रकम में से बड़े उद्योगों का ऋण 7,40,968 करोड़ रुपए था. वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने संसद में बताया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने अप्रैल, 2014 से मार्च, 2023 तक बट्टे खाते में डाले गए कर्जों में से कुल 2,04,668 करोड़ रुपए की वसूली की है. यानी रिकवरी रेट सिर्फ 14 फीसद है
इसमें कारपोरेट कर्ज भी शामिल है.जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में बट्टे खाते में डाले गए कर्ज से 1.18 लाख करोड़ रुपए ऋण वसूली हुई. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में यह वसूली घटकर 0.91 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में मात्र 0.84 लाख करोड़ रुपए रह गई. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाला गया कुल कर्ज 73,803 करोड़ रुपए था.
85 फीसदी कर्ज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से
विभिन्न बैंकों की तरफ से दी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 तक देशभर में जानबूझकर कर चोरी करने वालों की संख्या 16,044 है. इसमें 85 फीसदी कर्ज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लिया गया था.इससे पहले सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के माध्यम से दायर एक याचिका के जवाब में कहा था कि विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य बैंकों से हजारों करोड़ रुपए का कर्ज लेकर विदेश भाग गए, वे जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले हैं.
केंद्र सरकार का कर्ज 155.6 लाख करोड़
दूसरी तरफ वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 31 मार्च, 2014 को केंद्र सरकार का कर्ज 58.6 लाख करोड़ (जीडीपी का 52.2 प्रतिशत) रुपए था, जो 31 मार्च, 2023 को बढ़कर 155.6 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 57.1 प्रतिशत) हो गया. वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में केंद्र सरकार का कर्ज 105.1 लाख करोड़ रुपए वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में बढ़कर 121.9 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 61.5 प्रतिशत) पहुंच गया . एक साल में ही सरकार के कर्ज के नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी की प्रमुख वजह कोरोना महामारी थी।