देश में गोल्ड लोन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इससे आम लोगों को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए सस्ता और समय पर कर्ज मिल जाता है. दूसरे, बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) का कारोबार अच्छा चल रहा है. बड़े कारोबारी भी इस सुविधआ का लाभ उठा रहे हैं. बाजार की जरूरत को देखते हुए देशभर के बैंकों ने आरबीआई (RBI) से गोल्ड लोन की तरह सिल्वर लोन के लिए नियम बनाने की मांग की है.
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑर्गनाइज्ड गोल्ड लोन का मार्केट 6 लाख करोड़ रुपए का है. इसमें 80 फीसद हिस्सेदारी बैंकों और 20 फीसद गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की है. पिछले एक साल में चांदी के निर्यात में वृद्धि देखने को मिली है. इसमें करीब 16 फीसद का इजाफा देखा गया है. चांदी का निर्यात करीब 25,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है और इस क्षेत्र से कर्ज की भारी मांग है. यही वजह है कि आभूषण निर्माता बैंकों से चांदी पर लोन की बात कह रहे हैं.
क्यों बढ़ रही चांदी की मांग
आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में चांदी की आपूर्ति में कमी आई है जबकि साल 2022 में इस की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर 2021 के मुकाबले 300 फीसद बढ़ गया है. इसके चलते चांदी की मांग को तेज कर दिया है. इलेक्ट्रिक वाहनों के सर्किट और अंदरुनी हिस्सों में इसके उपयोग के कारण भी चांदी की मांग में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है. इसके अलावा चीन के कारोबार का फिर से तेजी पकड़ना, फेड का रुख और वैश्विक विकास चांदी की कीमतों में इजाफे का संकेत दे रहा है. साथ ही ग्लोबल ग्रीन एनर्जी और औद्योगिक क्षेत्र में सिल्वर का आउटलुक मजबूत बना हुआ है.
गोल्ड के लिए बने हैं नियम
सोने के लिए बने आरबीआई के मौजूदा नियमों के तहत कुछ बैंक सोने का आयात करने के लिए अधिकृत हैं. ये बैंक, जो स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 का हिस्सा हैं, वे आभूषण निर्यातकों या सोने के आभूषणों के घरेलू निर्माताओं को गोल्ड मेटल लोन (जीएमएल) दे सकते हैं. गोल्ड के बदले लिए गए लोन को रुपए में चुकाया जाता है, ये उधार लिए गए सोने के मूल्य के बराबर होता है. बैंक उधारकर्ता को एक किलो या अधिक के लॉट में फिजिकल गोल्ड के रूप में ऋण का एक हिस्सा चुकाने का विकल्प देते हैं. सराफा कारोबारी इस तरह की व्यवस्था सिल्वर लोन के लिए करने की मांग कर रहे हैं. इसी को देखते हुए बैंकों ने आरबीआई से सिल्वर लोन के लिए नियम बनाने की गुहार लगाई है.