बैंक फ्रॉड करने वाले 5 साल नहीं ले सकते कर्ज

जर्व बैंक के नियमों के मुताबिक फ्रॉड करने वाले व्यक्ति या संस्था को बैंक की तरफ से किसी भी तरह की अतीरिक्त सुविधा तुरंत रोक दी जाती है

बैंक फ्रॉड करने वाले 5 साल नहीं ले सकते कर्ज

बैंक से कर्ज लेकर बैंक के साथ फ्रॉड करने वालों के साथ क्या होता है? केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को संसद में इसके बारे में जानकारी दी गई. राज्यसभा सांसद जवाहर सिरकार ने वित्त मंत्रालय से बैंक फ्रॉड को लेकर सवाल किया था. सवाल के जवाब में सरकार ने जो जानकारी दी उसमें यह भी बताया गया कि बैंकों से कर्ज लेकर फ्रॉड करने वालों के साथ किस तरह की कार्रवाई होती है.

सरकार की तरफ से बताया गया कि बैंक को जैसी ही पता चलता है कि उसके साथ फ्रॉड किया गया है तो उसके तुरंत बाद बैंक को जांच एजेंसियों के पास शिकायत दर्ज कराना जरूरी है. इसके बाद रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक फ्रॉड करने वाले व्यक्ति या संस्था को बैंक की तरफ से किसी भी तरह की अतीरिक्त सुविधा तुरंत रोक दी जाती है. साथ में व्यक्ति या संस्था को 5 साल के लिए किसी भी बैंक, डेवल्पमेंट वित्तीय संस्थान, NBFC या निवेश संस्थान से कर्ज लेने पर रोक लगा दी जाती है.

इतना ही नहीं, सरकार की जांच मामले की जांच करती हैं और जांच के आधार पर फ्रॉड करने वाले व्यक्ति को सजा सुनाई जाती है. इस साल 28 जुलाई तक प्रवर्तन निदेशालय के पास जांच के लिए बैंक फ्रॉड के जुड़े 848 मामले दर्ज हैं, प्रवर्तन निदेशालय इन मामलों की मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच कर रहा है. इन मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत करीब 62179 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई है, 112 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है और मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट के पास 195 शिकायते पेश भी की जा चुकी हैं. इन सभी मामलों में अबतक 15113 करोड़ रुपए बैंकों को वापस भी लौटाए जा चुके हैं.

सरकार की तरफ से संसद में यह भी बताया गया कि बीते 3 वर्षों के दौरान बैंकों में होने वाले फ्रॉड में कमी आई है. वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 12819 करोड़ रुपए के फ्रॉड सामने आए थे, इसके बाद 2021-22 में यह आंकड़ा घटकर 6979 करोड़ रुपए रह गया और मार्च में खत्म हुए वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान सिर्फ 1650 करोड़ रुपए के फ्रॉड सामने आए हैं.

राज्यसभा में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के जवाब में सरकार ने संसद को यह भी बताया कि बीते कुछ वर्षों के दौरान बैंकों के फंसे कर्ज यानी NPA में कमी देखने को मिली है, वित्तवर्ष 2020-21 के अंत में बैंकों का कुल NPA 8.35 लाख करोड़ रुपए हुआ करता था जो 2021-22 के अंत में घटकर 7.42 लाख करोड़ रुपए बचा और अब वित्तवर्ष 2022-23 के अंत में यह घटकर 5.71 लाख करोड़ रुपए रह गया है.

Published - August 2, 2023, 08:18 IST