म्यूचुअल फंड अब भारत में आकर्षक निवेश विकल्प बन चुका है और यह मौजूदा समय में अपने उच्चतम स्तर पर भी पहुंच गया है. एक्सपर्ट्स लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में म्यूचुअल फंड में निवेश करें और इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं. म्युचुअल फंड में निवेश किया गया पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है, इसलिए कई लोगों को लगता है कि इसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. आप ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं या फिर डिस्ट्रीब्यूटर के जरिये भी इनमें निवेश किया जा सकता है.
एजेंट के माध्यम से
यह तरीका काफी आम है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (AMFI) के तहत हजारों म्यूचुअल फंड एजेंट्स रजिस्टर्ड हैं. अगर एजेंट को खोजने में दिक्कत हो तो जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं, उस कंपनी की वेबसाइट से टोल फ्री नम्बर लेकर बात कर सकते हैं.
एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वेबसाइट
अगर आपके पास डीमैट नहीं है आप एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company) की वेबसाइट या ऑफिस जाकर म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. हर कंपनी अपने म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट में निवेश करना का ऑप्शन देती है. हालांकि एक बार आपको कंपनी के ऑफिस जाकर एक फॉर्म भरना होगा और केवाईसी डॉक्यूमेंट देने होंगे. वेबसाइट के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक नुकसान यह है कि आपको हर म्यूचुअल फंड के लिए इस प्रोसेस को दोहराना होगा और हर बार अलग- अलग PIN और फोलियो नंबर की वजह से कंफ्यूजन पैदा हो सकता है.
स्वतंत्र पोर्टल
मौजूदा समय में कई ऐसे इंडिपेंडेंट पोर्टल हैं, जहां आप ऑनलाइन रजिस्टर कर म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. अगर आपकी केवाईसी पहले नहीं हुई है तो ये पोर्ट्ल इसकी भी सुविधा देते हैं.
बैंक (Banks)
बैंक भी म्यूचुअल फंड में निवेश कराते हैं. बैंक म्यूचुअल फंड एजेंट माने जाते है. यहां आपको यह ध्यान रखना है कि बैंकों पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना है, क्योंकि कई बैंक अपना कमीशन बनाने के चक्कर में भी गलत म्यूचुअल फंड की सलाह दे देते हैं.
डीमैट से निवेश के फायदे
डीमैट से म्यूचुअल फंड में निवेश फायदेमंद होता है. अपने सभी फंड्स को एक जगह पर देख सकते हैं. शेयर और म्यूचुअल फंड का एक ही स्टेटमेंट मिलेगा. इससे कानूनी वारिस को यूनिट ट्रांसफर करना आसान होता है.
डीमैट से MF निवेश की खामियां
डीमैट से म्यूचुअल फंड में निवेश खर्चीला हो सकता है. खाते के प्रबंधन और ट्रांजैक्शन फीस के चलते यहां ज्यादा चार्जेज लगते हैं. इतना ही नहीं एक ट्रांजैक्शन में ज्यादा वक्त लग सकता है. डीमैट के लिए ब्रोकर, एक्सचेंज, बैंक, RTA कतार में हैं. आप एक से ज्यादा फोलियो नहीं रख सकते हैं. systematic transfer plan (STP) और systematic withdrawal plan (SWP) डीमैट अकाउंट से करना मुश्किल होता है. यहां रोजाना और हर पखवाड़े डिविडेंड मिलना मुश्किल है और ट्रांजेक्शन के लिए ब्रोकर पर निर्भर रहना पड़ता है.
डीमैट में यूनिट होल्डिंग में भी सीमाएं रहती हैं. उदाहरण के लिए आप पत्नी के साथ म्युचुअल फंड में कोई होल्डिंग चाहते हैं, लेकिन आपका डीमैट खाता एक ही नाम से है तो जॉइंट होल्डिंग के लिए आपको अलग से खाता खुलवाना पड़ेगा.