‘बिग बी’ के बाद ‘भाई’. यह है नॉन-फंजिबल टोकन (non fungible token – NFT) बाजार में बॉलिवुड का तड़का. दुनिया भर में फैले बॉली-फैन के लिए एक मौका बन रहा है कि वे अपने पसंदीदा सितारे की कला का विशिष्ट डिजिटल स्वरूप हासिल करें. ब्लॉकचेन आधारित इस माध्यम ने शुरुआत के बाद आठ से दस महीने के भीतर खास पहचान बना ली है. अब सवाल यह है कि क्या यह निवेश का बेहतर विकल्प बन सकता है?
इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के पहले यह जान लीजिए कि आखिरकार NFT क्या है? फंजिबल मतलब बदलने लायक. दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसा सामान, जिसे किसी दूसरे सामान से बदला जा सकता है. किसी भी कीमत मसलन 100 भारतीय रुपये का एक नोट ले लीजिए. आप उसे दूसरे 100 रुपये के नोट से बदल सकते हैं या फिर सौ रुपये के बदले 10 रुपये के दस, बीस रुपये के पांच या 50 रुपये के दो नोट भी हासिल कर सकते हैं. हालांकि यह हो सकता है कि एक खास सीरिज (जैसे अंत के तीन अंक 786) वाले कागजी नोट का अपना मोल है, लेकिन उससे नोट की मूल कीमत पर कोई असर नहीं पड़ता.
दूसरी ओर, जब किसी सामान को नॉन-फंजिबल कहते हैं तो मतलब यह हुआ कि आप उसे किसी और सामान से बदल नहीं सकते. वह अपने आप में बिल्कुल ही विशिष्ट होता है. अब यही नॉन-फंजिबल जब डिजिटल स्वरूप में आ जाता है और उसकी विशिष्टता और स्वामित्व को बनाए रखने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक की मदद ली जाती है, तो यह बन जाता है नॉन फंजिबल टोकन.
NFT कलाकारों की कलाकृतियों, खिलाड़ियों/खेल प्रतियोगिताओं के स्मृति चिन्ह इत्यादि का डिजिटल स्वरूप है, जो अपने आप में हटकर होगें. इनकी कोई नकल नही होगी और बहुत ही सीमित संख्या में उपलब्ध होंगे.
NFT को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है – ‘Anything that has rarity, uniqueness, and long-term value – it is present in digital form and represents real-world objects such as art, music, in-game items, videos or even memorabilia.’
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह सबकुछ अपलोड किया जा सकता है, जहां इनकी नीलामी की सुविधा होगी. यहां इनके मोल तय करने का मौका बनेगा. दुनियाभर में यह काफी लोकप्रिय हैं, जहां इनका कारोबार 2.5 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. देश में इस प्लेटफॉर्म पर आप क्रेडिट कार्ड या भुगतान के डिजिटल माध्यमों से भी लेन-देन कर सकते हैं.
अब इसका बाजार कैसे बनेगा? यहां भी अर्थशास्त्र का सिद्धांत – मांग व आपूर्ति – लागू होगा. आपूर्ति तो तय है या बिल्कुल ही सीमित है. ऐसे में सारा कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि मांग कितनी है. मांग ज्यादा होगी और जो सबसे ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार है, उसे वह NFT मिल जाएगा.
आइए अब वापस लौटते हैं मूल सवाल पर कि क्या NFT निवेश का एक बेहतर विकल्प है? बिल्कुल है, लेकिन हर किसी के लिए नहीं. सबसे पहली बात यह माध्यम खास तौर पर उनके लिए है जो बड़ी रकम लगाने के लिए तैयार है. दूसरी बात, किसी एक कंपनी के शेयर ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए खास हो सकते हैं. उस कंपनी को समझे-बूझे बिना भेड़-चाल अपनाकर लोग तैयार होते हैं. लेकिन किसी एक NFT का मोल क्या है, यह पूरी तरह से व्यक्तिपरक व्यवहार है. दूसरे शब्दों में कहें तो यूरोप के खास फुटबॉल क्लब का स्मृति चिन्ह, भारत में फुटबॉल के एक दीवाने के लिए अनमोल हो सकता है, लेकिन बाकियों के लिए उसका कोई खास मोल नहीं हो सकता है.
तीसरी बात, कहने को NFT भले ही उसके मालिक के लिए काफी कीमती हो, लेकिन उसपर मुनाफा कमाने के लिए अच्छा खासा इंतजार करना पड़ सकता है. यह भी हो सकता है कि बाजार में उस सामान के चाहने वाले भले ही ज्यादा हों, लेकिन जिसने उसे सबसे पहले हासिल किया, वह उसे बेचने के लिए तैयार ही न हो.
कहने की जरूरत नहीं है कि NFT मूल रुप से दीवानों का बाजार है. दीवानगी किस हद तक जा सकती है, यह बताने की जरूरत नहीं. चलिए आपने सामान खरीद-बेच लिया, मुनाफा कमा लिया, उसके बाद क्या? यहां पर अभी तक वित्त मंत्रालय की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं है.
दरअसल विभिन्न क्रिप्टो माध्यमों की तरह NFT पर किस तरह से GST लगेगा या मुनाफे का आंकलन कैसे कर के उसपर पूंजीगत लाभ लगाया जाएगा, इनके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं आए हैं. हो सकता है कि बाजार बहुत ही प्रारंभिक स्थिति में है, लिहाजा अभी इसमें कराधान को लेकर विशेष चर्चा नहीं हुई है. लेकिन एक बात तय है कि स्पष्ट प्रावधान नहीं होने की वजह से NFT की लेन-देन पर कर को लेकर कानूनी विवाद शुरू होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
अब उम्मीद की जानी चाहिए कि जब निजी क्रिप्टोकरेंसी, केंद्रीय बैंक की ओर से जारी होने वाले आभासी मुद्रा और ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल के मामले में कानून बनाएगी, तो उसमें NFT को लेकर भी स्पष्ट प्रावधान रखे जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो विशिष्ट निवेश के तौर पर NFT की पहचान बनने में समय नहीं लगेगा.